Mulayam Singh Yadav Death: पैसे की कमी, ना कोई बड़ा राजनीतिक चेहरा, फिर भी 1967 में कैसे विधायक बने मुलायम सिंह यादव, पढ़ें पूरी कहानी
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के पहली बार विधायक बनने की कहानी काफी रोचक रही है.
UP Politics: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का सोमवार निधन हो गया. उन्होंने चार अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी. हालांकि इससे पहले ही 1967 में ही मुलायम सिंह यादव ने यूपी की राजनीति में पैर रख दिया था. तब वे 1967 में पहली बार विधायक बने से. हालांकि वो पूरी कहानी बहुत ही रोचक है.
दरअसल, यूपी की जसवंत नगर सीट से डॉ राम मनोहर लोहिया की पार्टी से नत्थू सिंह विधायक हुआ करते थे. इस सीट पर डॉ. लोहिया की पैरवी से मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़े. तब लोहिया की ही प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से टिकट तो मिल गया, अब बाद पैसे की आ गई. तब मुलायम सिंह यादव के दोस्त दर्शन सिंह काम आए. दर्शन सिंह ने साइकिल चलाई और मुलायम सिंह पीछे बैठे. जयवंत नगर विधानसभा के गांव-गांव का दौरा किया, नारा दिया गया 'एक वोट, एक नोट'.
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कांग्रेसी उम्मीदवार को दी मात
मुलायम सिंह का मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार से था. तब हेमवंती नंदन बहुगुणा के शिष्य लाखन सिंह यहां से चुनावी मैदान में थे. उस वक्त मुलायम सिंह राजनीति के नए खिलाड़ी थे, दूसरी ओर कांग्रेस का देशभर में जबरदस्त जनाधार हुआ करता था. लेकिन चुनाव के परिणाम आए तो सब चौंक गए. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार को हराकर जीत दर्ज की.
चुनाव में जीत दर्ज होने के बाद ही इसी साल नवंबर में डॉ राम मनोहर लोहिया का निधन हो गया. अपने निधन से पहले उन्होंने यादव परिवार के इस राजनीतिक खिलाड़ी के लिए रास्ता तैयार कर दिया था. खास बात तो ये रही कि पहली बार विधायक बने और पहली ही बार में वे मंत्री भी बन गए. यहां से उनके राजनीति में फूल टाइम एंट्री हो चुकी थी. अब यहीं जसवंत नगर की सीट यादव परिवार का गढ़ मानी जाती है. अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव यहां से वर्तमान में विधायक हैं.