Uttarakhand Election 2022: समाजवादी पार्टी की साइकिल आजतक नहीं चढ़ सकी पहाड़, लगातार गिरता रहा ग्राफ
Samajwadi Party in Uttarakhand: उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है. 21 सालों में आजतक कोई विधायक विधानसभा नहीं पहुंच सका है.
Samajwadi Party in Uttarakhand: राज्य गठन के बाद उत्तराखंड (Uttarakhand) में 2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने हरिद्वार (Haridwar) से जीत दर्ज की थी, जिसमें राजेंद्र बॉडी सपा कोटे से सांसद बने. यह पहला चुनाव था जिसमें समाजवादी पार्टी ने उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) से अलग होकर उत्तराखंड में जीत दर्ज कराई थी. लेकिन उसके बाद ना तो लोकसभा चुनाव और ना ही किसी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का खाता खुल पाया. हालांकि 2002 के विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर सपा की जीत का अंतर मामूली रहा. लेकिन 21 सालों में आज तक एक भी विधायक समाजवादी पार्टी का विधानसभा तक नहीं पहुंचा. 2002 में समाजवादी पार्टी को 7.89 फीसदी के करीब वोट मिले थे. इन चुनाव में सपा ने 56 सीटों पर चुनाव लड़ा.
गिरता गया सपा का ग्राफ
2007 के विधानसभा चुनाव में ये खिसकर 6.5 के करीब आ गया, और 42 सीटों पर चुनाव लड़े. 2012 आते-आते सपा का ये ग्राफ गिरता गया और 1.5 फ़ीसदी पर आ गया. और सिर्फ 32 सीटों पर चुनाव लड़ सके. 2017 के चुनाव में उत्तर प्रदेश में हुए समाजवादी पार्टी के घमासान का असर उत्तराखंड में इस कदर देखने को मिला कि सपा 18 सीटों पर ही चुनाव लड़ पाई और वोट प्रतिशत ना के बराबर रह गया. खुद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सत्यनारायण ये बात मानते हैं कि समाजवादी पार्टी का उत्तराखंड में लगातार जनाधार गिरा है, जिसकी वजह पार्टी के ऊपर लगा राज्य विरोधी पार्टी का कलंक है, जिससे भुनाने में भाजपा और कांग्रेस भी सफल रही.
लीडरशिप की कमी
उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी की साइकिल पहाड़ न चढ़ने की वजह लीडरशिप की कमी भी रही है. राजनीतिक विश्लेषक भी ये मानते हैं कि, उनका कहना है कि उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी के ऊपर रामपुर तिराहे कांड से लेकर कई ऐसे आरोप लगे जो राज्य विरोधी थे. इसके साथ ही उत्तराखंड में ऐसी कोई लीडरशिप समाजवादी पार्टी की खड़ी नहीं हो सकी जो पार्टी को मजबूती स्थिति में लाए और उसके बाद लगातार पार्टी ने यह भी कोशिश नहीं की कि अपने जनाधार को किस तरह वापस लाया जाए.
फिलहाल अभी भी उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी का भविष्य अंधकार में ही नजर आ रहा है, क्योंकि पार्टी पर लगे कलंक को अभी तक नेता धो नहीं पाए हैं. हालांकि, पार्टी का अब ये दावा है कि, उत्तराखंड में जो कलंक समाजवादी पार्टी पर लगा है, उसे मिटाने की कोशिश की जा रही है और 2022 के चुनाव में मजबूती के साथ चुनाव लड़ा जाएगा.
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