Prayagraj News Today: साधु संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के एक गुट के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी के जरिये प्रयागराज महाकुंभ को लेकर दिया गया बयान इन दिनों सुर्खियों में है. महंत रवींद्र पुरी के इस बयान का अन्य साधु महात्माओं ने स्वागत किया.
हालिया दिनों महंत रवींद्र पुरी ने हरिद्वार में कहा था कि महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था से कोई खिलवाड़ ना हो, उनकी श्रद्धा प्रभावित न हो, इसलिए आस्था के मेले में खाने-पीने की दुकानें सिर्फ हिंदुओं को ही चलाने की अनुमति दी जाएं. उन्होंने कहा कि गैर सनातनियों को खाने-पीने की दुकान चलाने पर रोक लगानी चाहिए.
सपा और जमीयत ने जताया विरोध
महंत रवींद्र पुरी के इस बयान के बाद विवाद शुरू हो गया. जमीयत उलेमा ए हिंद और समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान बर्क ने इस मांग को सांप्रदायिक आधार पर भेदभाव करने वाला बताया था.
प्रयागराज में मौजूद संत महात्माओं का कहना है कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी का यह बयान बिल्कुल उचित है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है. संत महात्माओं वह सभी लोग इस बयान के समर्थन में हैं और इस तरह की पहल का स्वागत करते हैं.
हालांकि इससे पहले भी कुछ संतों ने महाकुंभ में गैर सनातनियों के प्रवेश पर पाबंदी लगाए जाने की मांग की थी, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नसीहत के बाद इस तरह की मांग को ठंडा बस्ते में डाल दिया गया था.
सीएम योगी ने की ये अपील
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 6 अक्टूबर को प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे थे. इसके बाद अखाड़ा समेत अलग-अलग संप्रदाय के संतों के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपील की थी कि महाकुंभ को लेकर कोई भी नकारात्मक बात ना की जाए.
वर्तमान में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी के इस मांग ने प्रयागराज महाकुंभ को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है. हालांकि कुछ संत महात्मा इससे पूरी तरह सहमत नहीं है. उनका मानना है कि जब तक लोग सनातन धर्म को नजदीक से जानेंगे नहीं, तब तक वह ना तो घर वापसी करेंगे और ना ही आदर भाव रखेंगे.
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