Mohan Bhagwat Statement: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के मंदिर मस्जिद को लेकर दिए गए बयान का RSS के मुखपत्र पाञ्चजन्य में समर्थन किया गया है. जिसमे कहा गया है कि मंदिर हिंदुओं के विश्वास का केंद्र है लेकिन राजनीति लाभ के लिए इसका इस्तेमाल स्वीकार्य नहीं है. पाञ्चजन्य के इस लेख पर समाजवादी पार्टी की प्रतिक्रिया आई है. सपा प्रवक्ता अमीक जामेई ने कहा कि अगर मोहन भागवत ईमानदारी से ये बात कह रहे हैं तो उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करनी चाहिए.
सपा प्रवक्ता अमीक जामेई ने कहा कि आरएसएस से समाजवादियों का सैद्धांतिक और विचारधारा का विरोध है. 2025 में आरएसएस की स्थापना के 100 साल पूरे हो रहे हैं. इन सालों में आरएसएस ने जो हासिल किया है वो है कि आज आरएसएस के कंट्रोल में न तो भारतीय जनता पार्टी है, न इस देश की सरकार है. चाहे वो मोहन भागवत के मंदिर मस्जिद पर दिया बयान हो या वो जिस समरसता की बात करती है इन सभी मामलों में ये पूरी तरफ फेल रही है.
RSS के कंट्रोल में नहीं है BJP
सपा नेता ने कहा कि जब मंदिर-मस्जिद को लेकर मोहन भागवत जी का बयान आया, उसके बाद पूरे महाकुंभ में उनके विचार के खिलाफ बयानबाजी हो रही है. रामभद्राचार्य जी ने तो ये तक कहा कि आप (मोहन भागवत) किसी संगठन के मुखिया हो सकते हैं लेकिन हिन्दुओं के मुखिया नही हैं. अमीक जामेई ने कहा कि सपा का कहना है कि अगर हमारा देश एक नहीं होगा, तो इससे देश की कौमी एकता और भाईचारे को ही नुकसान नहीं होगा बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी नुकसान है.
अमीक जामेई ने कहा कि अगर भागवत जी इस मामले में ईमानदार है तो उन्हें तत्काल इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करनी चाहिए. क्योंकि इस देश में मस्जिद में मंदिर खोजने का सीधे तौर भारतीय पुरातत्व विभाग है जो केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है. पीएम को एएसआई को निर्देश देना चाहिए कि ये सब बंद हो. लेकिन दुख की बात है कि आरएसएस ने जिस सरकार को बनाने में पूरी ताक़त लगाई वो भाजपा आज आरएसएस के कंट्रोल में नहीं है. क्योंकि जो भागवत कह रहे हैं और सरकार के जो एक्शन है वो दोनों अलग-अलग हैं.
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