UP News: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव (Dharmendra Yadav) ने बीजेपी (BJP) सांसद संघमित्रा मौर्य (Sanghmitra Maurya) के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका वापस ले ली है. इसके लिए सपा के पूर्व सांसद ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा कि बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में इस याचिका को जारी रखने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है.


धर्मेंद्र यादव की याचिका वापस लेने के बाद राजनीतिक गलियारे में तमाम सवाल उठ रहे हैं. दरअसल, संघमित्रा मौर्य वर्तमान में बीजेपी से सांसद हैं. हालांकि वे सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य वर्तमान में सपा में हैं. कहा जा रहा है कि क्या सिर्फ स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में होने का तर्क काफी है या इसके पीछे कुछ और भी बात है. 


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चल रही है ऐसी चर्चा
सपा नेता के इस फैसले के बाद माना जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य का कद सपा की राजनीति में अभी और बढ़ेगा. खास बात ये है कि सपा पिछड़ा वर्ग की दूसरी जातियों को भी अपने पाले में लाने की कोशिशों में जुटी है. स्वामी प्रसाद मौर्य इसका अहम चेहरा होंगे. शायद सपा अब ऐसी कोई फांस नहीं रखना चाहती है जिससे आगे कोई दिक्कत हो.


जानकारों के अनुसार स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में जाने के बाद संघमित्रा की स्थिति बीजेपी में कुछ कमजोर हुई है. हालांकि बीजेपी ने जब माइक्रो डोनेशन अभियान चलाया तो प्रदेश में संघमित्रा सबसे अव्वल नेताओं में शुमार रही थीं. यहां सबसे खास बात ये है कि धर्मेंद्र यादव समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं. 2019 में संघमित्रा मौर्य ने धर्मेंद्र यादव को बदायूं से लोकसभा का चुनाव हराया था. 


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