Rampur News: सपा नेता आजम खान (Azam Khan) के गढ़ रामपुर में एक बार फिर आजम खान के खिलाफ बगावती सुर निकले हैं. रामपुर में एक के बाद एक हुए लोकसभा उपचुनाव और विधानसभा उपचुनाव में सपा को शिकस्त मिलने के बाद रामपुर के राजनीतिक समीकरण बदले गए हैं. न केवल रामपुर विधानसभा और लोकसभा सीट सपा के हाथ से निकली है बल्कि सपा के लोगों में भी फूट दिखाई दे रही है. 


ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि लोकसभा उपचुनाव में सपा के हार जाने के बाद एक बार फिर आजम खान ने लोकसभा प्रत्याशी रहे आसिम राजा को विधानसभा सीट के लिए भी प्रत्याशी बना दिया और विधानसभा उपचुनाव में एक बार फिर सपा को करारी हार हुई, जिसको लेकर रामपुर के सपा नेता मशकूर अहमद मुन्ना ने आजम खान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. अहमद मुन्ना ने अखिलेश यादव ने आजम खान को राष्ट्रीय महासचिव घोषित करने के बाद एक बार फिर पत्र लिखकर अखिलेश यादव से आजम खान को पार्टी से हटाने की मांग की है. 


'मुस्लिम नेताओं को नहीं दिया मौका'
मशकूर अहमद मुन्ना ने कहा कि आजम खान ने मुस्लिम नेताओं को मौका नहीं दिया. रामपुर में पार्टी को लिमिटेड कंपनी बना दिया गया है. आजम खान ने अपने हित के लिए दूसरे लोगों से हाथ मिला लिया है, जिसके कारण पार्टी को नुकसान हुआ है. लिहाजा उन्हें पार्टी से निकाला जाए,  इसके साथ ही उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं में आजम खान को राष्ट्रीय महासचिव बनाने पर भी गुरेज जताया है.  सपा नेता मशहूर अहमद मुन्ना ने कहा कि आजम खान ने अपने हित के लिए दूसरे लोगों से हाथ मिला कर रामपुर की सीट हराई है.


सपा नेता और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मशकूर अहमद मुन्ना ने कहा कि सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 15 नए महासचिव बनाए गए हैं. बड़ी खुशी की बात यह है कि शिवपाल यादव को जिम्मेदारी दी गई है. आजम खान का नाम एक बार फिर महासचिव में रख दिया, जबकि वास्तविकता यह है कि आजम खान तो पार्टी के लिए कोई काम कर ही नहीं रहे हैं. वह तो अपने परिवार के लिए काम करते हैं. 


सपा नेता मशहूर अहमद मशकूर मुन्ना ने आजम खान पर आरोप लगाते हुए कहा कि लोगों के साथ ज्यादती की जा रही है और लोगों के अधिकार छीने जा रहे हैं. उन्होंने कहा अब जो भी है हम तो राष्ट्रीय अध्यक्ष को अवगत करा रहे हैं कि पार्टी तभी मजबूत होगी जब इन से आजादी मिलेगी. उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने जाऊंगा और पूरी कोशिश करूंगा कि उन्हें सही बात बताई जाए. इस समय बरेली और मुरादाबाद अध्यक्ष के इस फैसले से बहुत लोग निराश हुए हैं उनका नाम नहीं आना चाहिए था. 


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