UP News: बलिया (Ballia) की एक अदालत ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री नारद राय (Narad Rai) सहित 19 आरोपियों को सड़क जाम कर यातायात बाधित करने के 13 साल पुराने मामले में शुक्रवार को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया. ये केस साल 2010 में बलिया में दर्ज किया गया था.
अधिवक्ता त्रिभुवन नाथ यादव ने बताया कि सांसद (एमपी)/ विधायक(एमएलए) विशेष अदालत की अपर न्यायिक दंडाधिकारी तपस्या त्रिपाठी की अदालत ने शुक्रवार को मुकदमे की सुनवाई करते हुए अभियोजन पक्ष और विरोधी पक्ष की दलील सुनने के बाद पूर्व मंत्री नारद राय सहित 19 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. नारद राय जिले की बलिया सीट से वर्ष 2002 से 2007 और 2012 से 2017 तक विधायक रहे है.
क्या था आरोप?
इसके अलावा नारद राय, मुलायम सिंह यादव की पूर्ववर्ती सरकार में नगर विकास राज्य मंत्री और अखिलेश यादव की पूर्ववर्ती सरकार में भी मंत्री रहे हैं. अभियोजन पक्ष के अनुसार बलिया शहर कोतवाली में तत्कालीन प्रभारी प्रभाकर तिवारी ने दो अप्रैल 2010 को राय सहित 19 आरोपियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 143 (गैर कानूनी सभा में भाग लेना), 341 (किसी व्यक्ति को गलत तरीके से रोकना), 283 (यातायात बाधित करना) के तहत नामजद मुकदमा दर्ज कराया था.
उन्होंने तहरीर में आरोप लगाया था कि राय सहित 19 आरोपियों ने जिला मुख्यालय पर बिना अनुमति जुलूस निकाल कर सरकार विरोधी नारेबाजी की और सड़क जाम कर यातायात बाधित किया. उन्होंने बताया कि पुलिस ने विवेचना के उपरांत सभी आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था. अभियोजन पक्ष ने बताया कि शुक्रवार को सुनवाई के बाद अदालत ने आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया.
बता दें कि बीते निकाय चुनाव में नारद राय ने सपा प्रत्याशी का विरोध किया था. उन्होंने एक निर्दलीय प्रत्याशी का समर्थन किया था और उसके समर्थन में वोट मांगे थे.