Lucknow News: उत्तर प्रदेश में गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas) की रामचरित मानस (Ramcharitmanas)की चौपाइयों पर विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है. इस विवाद से केंद्र में बने हुए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने दलितों-पिछड़ों के साथ होने वाले भेदभाव को लेकर फिर एक पोस्ट लिखा है. इसमें उन्होंने भेदभाव की देश के तीन बड़े नेताओं के साथ हुई जातिय अपमान की  तीन कथित घटनाओं का जिक्र किया है.


स्वामी प्रसाद मौर्य ने क्या लिखा है 


स्वामी प्रसाद मौर्य ने फेसबुक पर लिखा है, ''कदम कदम पर जातीय अपमान की पीड़ा से व्यथित होकर ही डॉक्टर आंबेडकर ने कहा था.''मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ, यह मेरे बस में नहीं था, किंतु मैं हिंदू होकर नहीं मरूंगा, ये मेरे बस में है.फलस्वरूप सन 1956 में नागपुर दीक्षा भूमि पर 10 लाख लोगों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार किया. वह भी भारतीय संविधान लागू होने के बाद. '' '


उन्होंने लिखा है, '' तत्कालीन उपप्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम द्वारा उद्घाटित संपूर्णानंद की मूर्ति का गंगा जल से धोना, तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के रिक्तोपरांत मु्ख्यमंत्री आवास को गोमूत्र से धोया जाना और तत्कालीन राष्ट्रपति कोविंद जी को सीकर ब्रह्मामंदिर में प्रवेश न देना शूद्र होने का अपमान नहीं तो क्या.ये सभी देश के बड़े नेताओं के साथ अपमान की घटनाएं घटित हुईं तो गांव-गावं में आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों के साथ क्या होता होगा?''


स्वामी प्रसाद मौर्य और विवाद


दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों पर सवाल उठाते हुए उन्हें हटाने की मांग की है.उनका कहना है कि इन चौपाइयों में कई जातियों और महिलाओं का अपमान किया गया है,इसलिए उन्हें हटा देना चाहिए.मौर्य के इस बयान के बाद से ही यूपी की सियासत गरमा गई है.बीजेपी समेत तमाम हिन्दू संगठन और साधु-संतों ने इस बयान को लेकर उन पर हमला बोला है.बीजेपी का आरोप है कि सपा हिंदू समाज को बांटकर अपनी सियासत करना चाहती है.स्वामी प्रसाद मौर्य अब भी अपने बयान पर कायम हैं और लगातार सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर इस मुद्दे को हवा दे रहे हैं. 


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