'अपने मानस पुत्रों को समझाएं मोहन भागवत..', पाञ्चजन्य के लेख पर सपा ने साधा निशाना
Mandir-Masjid Controversy: सपा नेता उदयवीर सिंह ने कहा कि बीजेपी और उनके अनुवांशिक संगठन और उनके सारे लोग तरह-तरह के प्रयोग करते रहते हैं. मोहन भागवत को अपने मानस पुत्रों को समझना चाहिए.
Samajwadi Party News: राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के मुखपक्ष पाञ्चजन्य में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के मंदिर मस्जिद को लेकर दिए बयान का समर्थन किया गया है. पाञ्चजन्य में उनके समर्थम में लेख लिखा है जिसे लेकर सियासत तेज हो गई है. समाजवादी पार्टी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी. सपा नेता उदयवीर सिंह ने सवाल किया जो ये विवाद पैदा कर रहे हैं और नए-नए मुद्दे उठा रहे है वो वैचारिक रूप से उन्ही से जुड़े हुए हैं. फिर उनके कहने पर भी ऐसा क्यों हो रहा है.
पाञ्चजन्य के लेख पर एबीपी न्यूज ने सपा नेता उदयवीर सिंह से खास बात की जिसमें उन्होंने कहा कि "दिल्ली और उत्तर प्रदेश में मोहन भागवत के मानस पुत्रों की ही सरकार है, जो लोग विवाद पैदा कर रहे हैं नए-नए मुद्दे उठा रहे हैं वो वैचारिक रूप से उन्हीं से जुड़े हुए लोग हैं उन सबके कहने के बावजूद यह क्यों हो रहा है?"
पाञ्चजन्य के लेख पर सपा की प्रतिक्रिया
उन्होंने कहा कि देश में कानून बना है इसके खिलाफ और स्पष्ट है कि 1947 के पहले जो स्थिति थी वही बनी रहेगी इसके बावजूद ऐसा हो रहा है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है और मोहन भागवत को अपने मानस पुत्रों को समझना चाहिए. भारतीय जनता पार्टी और उनके अनुवांशिक संगठन और उनके सारे लोग तरह-तरह के प्रयोग करते रहते हैं.
उदयवीर सिंह ने कहा कि ये लोग एक हाथ से विवाद भी पैदा करते रहते हैं दूसरे हाथ से और विवादों से नाराज होने वाले लोगों को समझने सुलझाने और उनको मैनेज करने के लिए तरीके का बयान भी देते रहते हैं. यह एक वैचारिक और कानूनी विषय है. इस पर स्पष्ट रूप से भाजपा को एक लाइन लेनी चाहिए और स्पष्ट रूप से जो लोग कर रहे हैं उसको बंद करना चाहिए.
बता दें कि आरएसएस के मुखपत्र पाञ्चजन्य मोहन भागवत के मंदिर-मस्जिद को लेकर दिए बयान का समर्थन किया गया है. मुखपत्र में लिखा कि भागवत में समाज से विवेकशील दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया गया है. मंदिर हिन्दुओं की श्रद्धा का केंद्र है लेकिन इसे राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना स्वीकार्य नहीं. आज के दौर में मंदिर से जुड़े विषयों पर अनावश्यक बहस और भ्रामक प्रचार चिंताजनक प्रवृत्ति है.