UP Crime News: मुरादाबाद (Moradabad) के सपा नेता युसूफ मलिक (Yusuf Malik) ने सोमवार को रामपुर (Rampur) की सीजेएम कोर्ट (CGM Court) में आत्मसमर्पण किया. सपा नेता पर रामपुर में आलियागंज (Aliaganj) के किसानों की जमीन के मामले में मुकदमा दर्ज है. इस मुकदमे में वे अंतरिम जमानत पर चल रहे थे. यह मामला 2019 में थाना अजीमनगर (Azim Nagar Thana) रामपुर में दर्ज कराया गया था. जिसमें एक किसान द्वारा धारा 147, 342, 307, 504 और 506 के तहत धमकाने का मुकदमा दर्ज कराया गया था.


क्या बोले यूसुफ
इस मामले में गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद सोमवार को यूसुफ मालिक ने कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर आत्मसमर्पण किया. खुद को बेकसूर बताते हुए यूसुफ बोले, "मुरादाबाद में एक अधिकारी द्वारा धमकाने और सरकारी काम में बाधा डालने का मुकदमा दर्ज कराया गया है. सरकार उनकी है जो चाहे कर सकते हैं." फिलहाल यूसुफ मालिक ने रामपुर कोर्ट के समक्ष अपना आत्मसमर्पण किया है.


क्यों किया सरेंडर
यूसुफ मालिक ने बताया, "मैंने सरेंडर कर दिया है, 307 का एक मामला था जो आलिया गंज का पुराना मामला था. उसमें मैंने सरेंडर कर दिया है. मेरे खिलाफ वारंट हो चुके थे. ये मुरादाबाद का एक मामला झूठा और फर्जी केस है. अधिकारियों को हड़काने का मौका है जब कि मैंने कोई बदतमीजी नहीं की है. उन्होंने ही मेरे साथ बदतमीजी की है और जब कि अब सरकार उन्हीं की हैं सब कुछ उनका हैं. कलम उनका है सब कुछ उनका है. चाहे जो लिख दें सच को झूठ लिखे तो वह मालिक, झूठ को सच लिखे तो वह मालिक हैं."


क्या है मामला
यूसुफ मालिक के वकील नासिर सुल्तान ने बताया, "यह मामला 2019 का है. इसका क्राइम नंबर 421/2019 धारा हैं. 147, 342, 307, 504 और 506 यह किसानों से संबंधित है. जो जमीन के मामले थे उसमें एक किसान की तरफ से इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी. धमकाने और जानलेवा हमले का आरोप है लेकिन ऐसा कुछ मामला था नहीं. फर्जी एक एफआईआर दर्ज कराई गई थी वहीं मामला चल रहा था. पहले से ही ऑनेबल हाईकोर्ट से एंट्रिम बेल पर थे लेकिन अब चार शीट आ गई है. इसलिए अब सरेंडर कर दिया गया है. ये थाना अजीम नगर का मामला था. मुरादाबाद में 353 का एक केस अभी पिछले दिनों 10-15 दिन पहले दर्ज हुआ है. उसी में वह बहुत ज्यादा दबाव बना रहा था .पुलिस प्रशासन गलत तरीके से इनाम घोषित किया है. कोई इतना बड़ा मामला नहीं है जहां तक मेरी जानकारी में है. 353 का दो साल की सजा तक के मामले होते हैं क्योंकि मामला पॉलिटिकल है. जब पॉलिटिकल कोई भी मामला होता है तो वह हाईलाइट होता है तो अंजाम यह तो सब होता ही है. यह तो एक क्रिया का हिस्सा है, अजीम नगर वाला मामला 2019 का है.


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