Samajwadi Party MLA Rafiq Ansari News: उत्तर प्रदेश के मेरठ से समाजवादी पार्टी के विधायक रफीक अंसारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है. उनको 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. विशेष न्यायाधीश एसीजेएम फर्स्ट एमपी एमएलए कोर्ट ने जमानत खारिज की. बाराबंकी जैदपुर से मेरठ पुलिस ने सपा विधायक को गिरफ्तार किया था. बाराबंकी से गिरफ्तार करने के बाद मेरठ कोर्ट में पेश किया गया.


विधायक के वकील ने क्या कहा?


मेरठ से सपा विधायक हाजी रफीक अंसारी के वकील से जब पूछा गया कि अदालत ने क्या आदेश दिया है तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा कि कोर्ट ने उनको न्यायिक अभिरक्षा में भेजने का आदेश दिया है और न्यायिक अभिरक्षा में भेजे गए हैं. उनको 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. नवचंडी के मामले में धारा 436 और 147 के मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है. विधायक के वकील से जब पूछा गया कि आपकी तरफ से कोर्ट में क्या तर्क रखा गया तो उन्होंने कहा कि हमारे तरफ से ये तर्क रखा गया कि मामला 28 साल से पेंडिंग रहा है और वो उपस्थित नहीं हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने जेलर को आदेश दिया है कि जो नियमानुसार इलाज है वो उनको मुहैया कराया जाए. 


1995 के एक मामले में विधायक रफीक अंसारी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए गए थे. 101 तारीखों के वारंट जारी होने के बावजूद सपा विधायक पेश नहीं हो रहे थे. विधायक ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट ने डीजीपी और प्रमुख सचिव गृह को आदेश दिया था. एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने सीओ सिविल लाइन अभिषेक तिवारी के नेतृत्व में टीम गठित की. मेरठ पुलिस ने आज सुबह बाराबंकी से विधायक रफीक अंसारी की गिरफ्तारी की. अधिकारी पहले लखनऊ अब बाराबंकी से गिरफ्तारी बता रहे हैं. कोर्ट में पेश करने से पहले जिला अस्पताल में विधायक का मेडिकल कराया गया. 


1995 के एक आपराधिक मामले सपा विधायक गिरफ्तार 


उत्तर प्रदेश के मेरठ से समाजवादी पार्टी के विधायक रफीक अंसारी को 1995 के एक आपराधिक मामले में गैर-जमानती वारंट का पालन नहीं करने पर लखनऊ में गिरफ्तार कर लिया गया. एसएसपी ने विधायक की गिरफ्तारी के लिए क्षेत्राधिकारी (सीओ) सिविल लाइन के नेतृत्व में एक टीम गठित की थी. आईपीसी की धारा 147, 436 और 427 के तहत लंबित आपराधिक मामले में विधायक रफीक अंसारी के खिलाफ जारी वारंट को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, एमपी-एमएलए, मेरठ की अदालत में चुनौती दी गई थी.


गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था


मामले में 35 से 40 अज्ञात लोगों के खिलाफ सितंबर 1995 में एफआईआर दर्ज की गई थी और 22 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया गया था. इसके बाद, याचिकाकर्ता के खिलाफ एक पूरक आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया, जिस पर संबंधित अदालत ने अगस्त 1997 में संज्ञान लिया. रफीक अंसारी कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए. उनके खिलाफ 12 दिसंबर 1997 को एक गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। इसके बाद 101 गैर-जमानती वारंट जारी किए गए.


कुर्की की कार्रवाई के बावजूद रफीक अंसारी कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए और वारंट के खिलाफ हाईकोर्ट चले गये. उनके वकील ने दलील दी कि 15 मई 1997 के फैसले में 22 आरोपियों को बरी कर दिया गया था, ऐसे में विधायक के खिलाफ कार्रवाई रद्द की जानी चाहिए, लेकिन हाईकोर्ट ने इस मामले में डीजीपी को रफीक अंसारी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट से जारी गैर जमानती वारंट का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था.


एजेंसी इनपुट के साथ


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