Prayagraj News: चुनाव के दौरान आपराधिक मुकदमे की जानकारी छुपाने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) से सपा विधायक पल्लवी पटेल (Pallavi Patel) को फौरी राहत मिली है. हाई कोर्ट ने यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, कौशांबी के जिला निर्वाचन अधिकारी और सिराथू के निर्वाचन अधिकारी के जांच आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने शिकायतकर्ता दिलीप पटेल के आरोपों की वास्तविकता परखने का भी आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता के आरोपों की जांच दिल्ली के उप चुनाव आयुक्त करेंगे.
पल्लवी पटेल को भी मिलेगा सुनवाई का मौका
जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस विक्रम जी चौहान की खंडपीठ ने यह आदेश दिया. सिराथू के दिलीप पटेल की शिकायत पर निर्वाचन आयोग ने मामले का संज्ञान लिया था. हाई कोर्ट ने कहा कि शिकायत सही पाए जाने पर पल्लवी पटेल को सुनवाई का मौका दिया जाएगा. इसके बाद उप चुनाव आयुक्त नई दिल्ली धारा 125 के तहत मामले को लोक प्रतिनिधित्व 1991 एक्ट के तहत क्रिमिनल कंप्लेंट कोर्ट के लिए रेफर करेंगे. पल्लवी पटेल ने निर्वाचन अधिकारी की नोटिस को चुनौती दी थी. पल्लवी सिंह पटेल कौशाम्बी की सिराथू विधानसभा सीट से विधायक हैं. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को हराकर उन्होंने चुनाव जीता था.
पल्लवी को निर्वाचन अधिकारी ने तीन बार भेजा था नोटिस
पल्लवी पटेल पर 2022 विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र में अपने खिलाफ दर्ज़ आपराधिक मुक़दमे की जानकारी छिपाने का आरोप है. निर्वाचन अधिकारी ने पल्लवी को बीते 18 और 25 मई और 3 जून को नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा था. याचिका में इसी नोटिस को चुनौती दी गई थी, पल्लवी पटेल और उनके पति के खिलाफ लखनऊ में फर्जी दस्तावेजों के जरिए फ्लैट हड़पने का मुकदमा गोमतीनगर थाने में दर्ज है, इसके अलावा कानपुर में भी पैतृक मकान हड़पने का मुकदमा वहां की अदालत में चल रहा है. बीते विधानसभा चुनाव में अपने नामांकन फॉर्म में उन्होंने ये जानकारियां छिपाई हैं.
सपा विधायक पर लगा है गंभीर आरोप
पल्लवी पर यह भी आरोप लगाया है कि उन्होंने अपनी मां को राज्यसभा का सांसद बनाने का प्रलोभन देकर परिवारिक संपत्ति हड़पने का प्रयास किया. चुनाव के दौरान चंदे में मिली रकम अपनी ससुराल जबलपुर भेज दी. इसके अलावा उन्होंने अपना दल कमेरा पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होते हुए समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक निर्वाचित हुईं. इस प्रकार वर्तमान में वह दो दलों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. जो निर्वाचन आयोग के नियमों के विपरीत है.
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