UP Politics: 'सपा के विधायक राज्यसभा चुनाव में जया बच्चन और आलोक रंजन को नहीं देंगे वोट'- पूर्व MLA का दावा
समाजवादी पार्टी के कुछ विधायक लगातार जया बच्चन और आलोक रंजन की उम्मीदवारी का विरोध रहे हैं. पहले स्वामी प्रसाद मौर्य और पल्लवी पटेली ने इसकी शुरूआत की थी.
Rajya Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के वोटिंग की तारीख जैसे-जैसे पास आ रही है, समाजवादी पार्टी में बगावत बढ़ती जा रही है. पार्टी के कुछ विधायकों ने अब खुलकर विरोध शुरू कर दिया है. कुछ विधायकों ने बगावत का सुर तेज करते हुए बीजेपी खेमें से संपर्क साध रखा है. इस पूरे बगावत की मुख्य वजह समाजवादी पार्टी के राज्यसभा चुनाव के प्रत्याशियों को बताया जा रहा है.
पार्टी के कुछ विधायक लगातार जया बच्चन और आलोक रंजन की उम्मीदवारी का विरोध रहे हैं. पहले स्वामी प्रसाद मौर्य और पल्लवी पटेली ने इसकी शुरूआत की थी. लेकिन अब सूत्रों की माने तो करीब एक दर्जन विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं. उन्होंने इन दोनों उम्मीदवारों को वोट देने से इनकार कर दिया है. जिसके बाद राज्यसभा चुनाव में कॉस वोटिंग की संभावना बढ़ती जा रही है.
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इन्हें वोट नहीं देने का दावा
स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी और तिंदवारी के पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति ने भी मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने दावा करते हुए कहा है कि पीडीए समर्थक सपा के विधायक अब पार्टी के राज्यसभा प्रत्याशी जया बच्चन और आलोक रंजन को अपना वोट नहीं देंगे. पूर्व विधायक ने पार्टी में इस मुद्दे पर बगावत का दावा किया है. उनका कहना है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ बोलने वालों पर पार्टी नेतृत्व अंकुश नहीं लगा रहा है.
दरअसल, राज्यसभा चुनाव के लिए सपा ने तीन उम्मीदवारों का एलान किया था. इनमें जया बच्चन और आलोक रंजन के अलावा रामजी सुमन भी शामिल हैं. लेकिन नाराज नेताओं का दावा है कि पार्टी ने इनके नाम का एलान करते हुए पीडीए के फॉर्मूले को ध्यान में नहीं रखा. लेकिन इन तीनों ही उम्मीदवारों का नामांकन होने का बाद पार्टी में बगावत के सुर तेज होने लगे हैं.
इसी बीच राज्यसभा चुनाव के लिए यूपी से भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ को उतारकर बड़ा दांव चल दिया है. राज्यसभा में दस सीटों के लिए हो रहे चुनाव में भाजपा ने अपना आठवां उम्मीदवार उतारकर लड़ाई दिलचस्प बना दिया है. यूपी से कुल 10 प्रत्याशी मैदान में थे, क्योंकि, यूपी कोटे की राज्यसभा की 10 सीटें खाली हुईं थीं. ऐसे में वोटिंग की जरूरत नहीं थी.