संभल: कोरोना वैक्सीन का विरोध करने वाले समाजवादी पार्टी के संभल से सांसद डॉ शफीकुर्रहमान बर्क ने आज खुद भी वैक्सीन लगवा ली है. अब सवाल ये उठ रहे हैं कि, क्या ऐसे नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए पहले कोरोना वैक्सीन का विरोध कर रहे थे और अब ख़ुद वैक्सीन लगवा रहे हैं? आखिर कोरोना की महामारी में ऐसे नेता क्यों जनता को गुमराह कर रहे थे. अगर शुरू में इन नेताओं ने वैक्सीन पर सवाल खड़े न किये होते तो अब तक बहुत से लोगों को वैक्सीन लग जाती और न जाने कितने लोगों की जान भी बच सकती थी. 


शफीकुर्रहमान ने किया था वैक्सीन का विरोध


सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के कोरोना वैक्सीन को भाजपा की वैक्सीन बता कर विरोध कर देने के बाद सपा नेताओं ने खुलकर वैक्सीन के विरोध में बोलना शुरू किया था और इनमे से एक संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ शफीकुर्रहमान बर्क भी थे. जो अप्रैल के महीने में कह रहे थे कि, मैं बिना वैक्सीन के ही अल्लाह की हिफाज़त में हूं और मुझे वैक्सीन की ज़रूरत नहीं है. मेरी ज़िन्दगी और और मौत अल्लाह के हाथ में है, मुझे अभी वैक्सीन लगवाने की कोई ज़रूरत नहीं है, मेरी उम्र 90 साल है और मुझे पक्का यकीन है कि, मुझ पर कोई असर नहीं होगा. 


अपने बयानों से जनता को भ्रमित किया था


लेकिन, अब आज जब इन सांसद महोदय ने खुद अपनी मर्ज़ी से कोविशील्ड वैक्सीन लगवाई तो तो ऐसा लग रहा था कि, उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया है और जान बचाने के लिए वैक्सीन लगवाना उचित समझ रहे हैं. अब सवाल ये उठ रहा है कि, जब पहले ज़िन्दगी और मौत का अल्लाह के हाथ में बता कर वैक्सीन लगवाने से इनकार कर रहे थे, तो अब ऐसा क्या हो गया जो वैक्सीन लगवा रहे हैं या यूं, कहिये कि, इनके सब यकीन और भरोसे अपने नेता की ख़ुशामद के लिए होते हैं. पहले अखिलेश यादव ने वैक्सीन का विरोध किया तो इन्होंने भी अल्लाह के नाम पर लोगों को गुमराह करते हुए वैक्सीन की ज़रूरत से इंकार कर दिया, और जब मुलायम सिंह यादव ने ख़ुद वैक्सीन लगवा ली और अखिलेश यादव बैकफुट पर आकर वैक्सीन लगवाने का समर्थन कर दिए तो इन्हें भी अब वैक्सीन पर भरोसा हो गया और खुद वैक्सीन लगवा ली.


अब विपक्ष के नेता सपा नेताओं के इस सेल्फ गोल पर चुटकी ले रहे हैं और जनता से ऐसे नेताओं के बहकावे में न आने की अपील कर रहे हैं. अब सवाल ये उठ रहा है कि, यूपी में आने वाले विधानसभा चुनाव में वैक्सीन पर दिए गये बयान सपा नेताओं को कहीं खुद ही भारी न पड़ जाये. 


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