Shafiqur Rahman On Bihar Caste Survey: बिहार सरकार की ओर से जारी किए गए जाति आधारित गणना के आंकड़े पर समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. शफीकुर्रहमान बर्क ने सोमवार (2 अक्टूबर) को कहा कि इस समय इन आंकड़ों की क्या जरूरत थी? ये सब अगले साल होने वाले चुनाव को देखते हुए किया गया है. 


अखिलेश यादव की पार्टी के सांसद ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि देश विकास, शिक्षा और एक बेहतर प्रधानमंत्री चाहता है. इनमें से तो कुछ भी नहीं है. उनसे पूछा जाना चाहिए कि अगर आप देश चला रहे हैं तो आपने इसके विकास के लिए क्या किया है. 


सपा अध्यक्ष ने किया सर्वे का स्वागत


बता दें कि, समाजवादी पार्टी विपक्ष के इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी शामिल है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस सर्वे का स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि जातिगत जनगणना 85-15 के संघर्ष का नहीं बल्कि सहयोग का नया रास्ता खोलेगी. जो सच में अधिकार दिलवाना चाहते हैं वो जातिगत जनगणना करवाते हैं. जातिगत जनगणना देश की तरक्की का रास्ता है.


बिहार सरकार ने जारी किए सर्वे के आंकड़े


बिहार सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किए हैं. जिसके अनुसार राज्य की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है. 


हिंदू समुदाय कुल आबादी का 81.99 प्रतिशत


बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, बिहार की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ ज्यादा है, जिसमें ईबीसी (36 प्रतिशत) सबसे बड़े सामाजिक वर्ग के रूप में उभरा है, इसके बाद ओबीसी (27.13 प्रतिशत) है. सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में हिंदू समुदाय कुल आबादी का 81.99 प्रतिशत है जबकि मुस्लिम समुदाय 17.70 प्रतिशत है. 



यादव समुदाय सबसे बड़ा


सर्वेक्षण के अनुसार, ओबीसी समूह में शामिल यादव समुदाय जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़ा सुमदाय है, जो प्रदेश की कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है. वहीं अनुसूचित जाति राज्य की कुल आबादी का 19.65 प्रतिशत है जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 22 लाख (1.68 प्रतिशत) है. 


बीजेपी ने की आलोचना


विपक्षी गठबंधन इंडिया के लगभग सभी दलों ने इस सर्वे का स्वागत किया है. जबकि बीजेपी ने इस पर असंतोष जताते हुए आरोप लगाया कि इसमें पिछले कुछ वर्षों में बदली हुई सामाजिक और आर्थिक वास्तविकताओं को नहीं दर्शाया गया है.


ये भी पढ़ें- 


Gorakhpur Rape Murder: नाबालिग से दोस्ती के बाद किया रेप, शादी की बात पर की हत्या, दो आरोपी गिरफ्तार