Ram Mandir: जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के चीफ मौलाना महमूद असद मदनी (Maulana Mahmood Madani) के बयान का समर्थन करते हुए समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ एसटी हसन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) एक संवैधानिक पद पर बैठे हैं, इसलिए उन्हें मंदिर का उद्घाटन करने नहीं जाना चाहिए.  यह उनकी गरिमा के खिलाफ है. वह लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री हैं, जिसमें हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सभी धर्मों के लोग रहते हैं.


वह सब के प्रधानमंत्री हैं, इसलिए उन्हें इस से दूर रहना चाहिए. सपा सांसद ने आरोप लगाया कि बीजेपी (BJP) श्री राम चन्द्र जी का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करती है और उनका राजनीतिकरण कर रही है. सपा शासन ने कहा कि पिछले 30 साल से बीजेपी रामचंद्र जी का अपने राजनीतिक हित के लिए इस्तेमाल कर रही है. इतनी बड़ी हस्तियों को राजनीति में नहीं खींचना चाहिए. सपा सांसद ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाया गया है या उन्हें जबरदस्ती बुलवाया गया है यह मैं नहीं जानता, लेकिन प्रधानमंत्री की एक गरिमा होती है. उन्हें उसका ख्याल रखना चाहिए.


वोट के लिए श्री राम चन्द्र जी का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. अयोध्या (Ayodhya) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले पर उन्होंने कहा कि हम कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते लेकिन यह कोर्ट ने भी माना है कि जिस जगह बाबरी मस्जिद थी वहां पर उसके नीचे किसी मंदिर के अवशेष नहीं मिले हैं. इसके साथ ही किसी मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद नहीं बनाई गई थी, लेकिन कोर्ट ने करोड़ों लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया है और मुस्लिम समुदाय को भी मस्जिद के लिए एक जगह दी है. 


इसलिए हम यह मानते हैं कि यह एक फैसला हुआ है, इंसाफ नहीं हुआ है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि 6 दिसंबर 1992 को एक अपराध हुआ था. वहां ए एस आई ने भी यही माना कि मंदिर के वहां कोई अवशेष नहीं मिले लेकिन कोर्ट ने एक बड़े विवाद को निपटाने के लिए यह फैसला दिया है. कोर्ट को इंसाफ करना था लेकिन उसने फैसला किया इसलिए हम जमीयत उलमा-ए-हिंद के बयान का समर्थन करते हैं.


दरअसल, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के चीफ मौलाना महमूद असद मदनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राम मंदिर उद्घाटन समारोह में जाने का विरोध किया है. वहीं मौलाना असद मदनी के बयान को लेकर राजनीतिक दलों के नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. मौलाना असद मदनी के बयान का अयोध्या के संत समाज ने भी पुरजोर विरोध किया है. 


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