Kuno National Park: मध्य प्रदेश स्थित कूनो पार्क में चीतों की मौत पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है. सपा नेता ने मांग की है कि चीतों की मौत के मामले में दंडात्मक कार्रवाई हो. उन्होंने इस मामले में भारतीय जनता पार्टी पर भी हमला बोला. एक ट्वीट में अखिलेश ने कहा- कूनो में तीसरे चीते की मौत दरअसल प्रशासनिक हत्या है. केवल राजनीतिक प्रदर्शन के लिए जो भाजपाई मजमा खड़ा किया था, उसका ये दायित्व भी बनता था कि विदेशी चीतों को बीमारी व आपसी संघर्ष से मुक्त सुरक्षित माहौल दे. 


सपा नेता ने कहा कि ये जानवरों पर क्रूरता का स्पष्ट मामला है, इस मामले में दंडात्मक कार्रवाई हो. महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 17 सितंबर को अपने 72वें जन्मदिन पर मध्य प्रदेश के कूनो में नामीबिया से लाए गए आठ चीतों के पहले जत्थे को एक पृथक बाड़े में छोड़ा था. इन चीतों में पांच मादा और तीन नर थे.



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12 चीतों को दक्षिण अफ्रीका से लाया गया
इस तरह के दूसरे कार्यक्रम में, 12 चीतों को दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था और 18 फरवरी को कूनो में छोड़ा गया था. नामीबियाई चीतों में शामिल साशा नामक चीते की मार्च में गुर्दे से संबंधित बीमारी के कारण मृत्यु हो गई थी. वहीं, दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीता उदय की 13 अप्रैल को मौत हो गई.


उधर, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि जून में मॉनसून की शुरुआत से पहले मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में अनुकूलन शिविरों से पांच और चीतों को स्वच्छंद विचरण के लिए छोड़ा जाएगा. इनमें तीन मादा और दो नर चीते हैं.


चार को केएनपी में अनुकूलन शिविरों से मुक्त-परिस्थितियों में छोड़ा 
जानवरों को आम तौर पर मॉनसून के मौसम में जंगल में नहीं छोड़ा जाता क्योंकि कठोर मौसम स्थिति उनके लिए भोजन और आश्रय ढूंढ़ने तथा नए वातावरण के अनुकूल होना मुश्किल बना देती है. मंत्रालय ने यह भी कहा कि चीतों को केएनपी से बाहर जाने दिया जाएगा और उन्हें ‘‘तब तक आवश्यक रूप से वापस नहीं लाया जाएगा, जब तक कि वे उन क्षेत्रों में प्रवेश न करें, जहां उन्हें महत्वपूर्ण खतरा हो.’’


इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि 'महत्वपूर्ण खतरे के क्षेत्र' का अर्थ गैर-वन क्षेत्रों से है जहां वन विभाग के पास अपेक्षित प्रबंधन प्रणाली नहीं है. नामीबिया से लाए गए आठ चीतों में से अब तक चार को केएनपी में अनुकूलन शिविरों से मुक्त-परिस्थितियों में छोड़ा गया है.