UP News: उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन के दलों के बीच बात बिगड़ चुकी है, सूत्रों के अनुसार कांग्रेस और समाजवाद पार्टी ने अब अलग चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है. इसके पिछले दोनों पार्टियों के बीच सीटों पर बात नहीं बन पाने को मुख्य वजह बताया जा रहा है. सूत्रों का दावा है कि अखिलेश यादव अपनी कमजोरी को कांग्रेस के हवाले करना चाहते थे.


दरअसल, सपा का ऑफर कांग्रेस के लिए कुर्बानी माना जा रहा है. इसके पीछे 17 सीटों के गणित को समझना जरूरी है. जो 17 सीट यूपी में सपा कांग्रेस को देना चाहती है उनमें 9 ऐसी सीटें जो सपा कभी नहीं जीती है. जबकि 6 सीटों पर सपा केवल एक बार जीती है. यानी हमेशा से जो सीटें सपा के लिए मुश्किल रही वो गठबंधन में कांग्रेस को देने की बात चल रही थी.


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सपा ने कभी नहीं जीती ये सीटें
सपा ने जो सीट कांग्रेस को ऑफर की थी उसमें अमेठी, रायबरेली, वाराणसी, बागपत, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, फतेहपुर सीकरी, हाथरस और कानपुर ऐसी सीटें थीं जिनपर सपा कभी नहीं जीती है. जबकि इसमें अमेठी और रायबरेली कांग्रेस का गढ़ और बाकी सभी सीटों पर बीजेपी मजबूत है. इसमें कुछ ऐसी शहरी सीटें है जो बीजेपी कई चुनावों से लगातार जीत रही है.


इसके अलावा सपा ने अमरोहा में 1996, सहारनपुर में 2004, बुलंदशहर में 2009, झांसी में 2004, सीतापुर में 1996 और महाराजगंज में 1999 में जीत दर्ज की थी. लेकिन उसके बाद पार्टी कभी भी इन सीटों पर जीत दर्ज नहीं कर पाई है. यानी देखा जाए तो सपा अपनी कमजोर ही कांग्रेस के हवाले करना चाहती थी. जबकि दूसरी ओर कांग्रेस कुछ और सीट मांग रही थी.


सूत्रों का दावा है कि सपा ने 17 सीटों का ऑफर कांग्रेस को दिया था. लेकिन कांग्रेस 20 से कम सीटों पर तैयार नहीं हो रही थी. इसके बाद दोनों ही दलों के बीच बात बिगड़ती चली गई. हालांकि अभी तक इस गठबंधन के टूटने का कोई औपचारिक एलान नहीं हुआ है.