Lok Sabha Election 2024: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव में लगातार पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों की बात कर रहे हैं. उनका दावा है कि सपा का पीडीए फॉर्मूला ही एनडीए को हराएगा. लेकिन, अब यही पीडीए अखिलेश यादव के लिए चुनौती बना हुआ है. पल्लवी पटेल पहले ही उन पर पीडीए को धोखा देने का आरोप लगाती रही है और अब राज्यसभा चुनाव में जिस तरह पार्टी के सवर्ण नेताओं ने क्रॉस वोटिंग की उससे उनकी रणनीति सवालों के घेरे में आ गई है. 


सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अक्सर ये कहते नजर आते हैं कि जिस यूपी से 2014 में बीजेपी केंद्र की सत्ता में आई थी, उसी यूपी से 2024 में बीजेपी की विदाई हो जाएगी. इस दावे के लिए वो लगातार पीडीए पॉलिटिक्स को चमकाने की कोशिश में लगे हुए हैं. वो लगातार इस वर्ग में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन, जब राज्यसभा चुनाव की बात आई तो उन्होंने दलित नेता रामजीलाल सुमन के साथ दो सामान्य वर्ग से आने वाले जया बच्चन और आलोक रंजन को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया. 


अखिलेश यादव को भारी पड़ा ये दांव
अखिलेश यादव का ये फ़ैसला उन्हें भारी पड़ा. पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा को छोड़कर नई पार्टी बना ली तो वहीं अपना दल कमेरावादी की नेता और सपा विधायक पल्लवी पटेल ने भी खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की और अखिलेश यादव पर पीडीए के साथ धोखा करने का आरोप लगाया. इस मुद्दे को उन्होंने इतने ज़ोरदार तरीके से उठाया कि सपा के पीडीए पर ही सवाल खड़े हो गए. 


पीडीए के साथ अगड़ों को जोड़े रखने की चुनौती
अखिलेश यादव की मुश्किलें यहीं कम नहीं हुई, एक तरफ पिछड़े वर्ग के नेताओं में नाराजगी देखने को मिली तो वहीं राज्यसभा चुनाव पार्टी के अंदर की कलह सामने आ गई, सपा के सात विधायकों ने बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की. इनमें से ज़्यादातर पांच विधायक सवर्ण वर्ग के हैं. क्रॉस वोटिंग के बाद इन विधायकों ने रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर पार्टी के रुख को सवालों के घेरे में ला दिया. ऐसे में सपा के सामने अब पीडीए के साथ ही अगड़ी जाति के लोगों को साथ जोड़े रखने की चुनौती बढ़ गई है. 


अखिलेश यादव की परेशानी ये हैं कि पीडीए की राजनीति के चक्कर में सवर्ण वर्ग उनसे छिटक रहा है तो वहीं पिछड़े नेता भी खुश नहीं दिख रहे. ऐसे में पीडीए के साथ झगड़ों को खुश रखने में पार्टी की रणनीति फेल हो रही है. पल्लवी पटेल ने भी भले ही सपा के पक्ष में वोट तो दिया लेकिन उनकी तल्खी अभी कम नहीं हुई है. 


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