Sambhal News: उत्तर प्रदेश के संभल में पिछले कई दिनों से अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. प्रशासन ने संभल के पौराणिक महत्व को देखते हुए एक बार फिर से इसे तीर्थ नगरी के रूप के में विकसित करने का प्लान बनाया है. जिसके तहत यहां स्थित प्राचीन कूपों को ढूंढा जा रहा है. जिसके बाद इनके सौंदर्यीकरण की भी योजना है. लोगों को यहां के प्राचीन इतिहास की जानकारी दी जाएगी. 


संभल में अतिक्रमण अभियान पर संभल नगर पालिका के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर मणि भूषण तिवारी ने कहा, "संभल में जो हमारी प्राचीन धरोहर है, जिन कूपों का वर्णन है और हमारी आस्था का सबसे बड़ा तीर्थ रहा है. संभल तीर्थ के नाम से हमारा अभियान यहां चल रहा है. इसमें हम अपने तीर्थों, मंदिरों, उनके जीर्णोद्धार और परंपराओं को कैसे पुनर्जीवित कर सकते हैं कूपों को कैसे जीवित करें. जल संचयन के साथ हमारी जो भी धार्मिक परंपराएं है उसे कैसे पुष्ट करें इस पर काम हो रहा है." 


संभल तीर्थ के तहत होगा विकास
उन्होंने कहा कि पिछले कई दिनों में हमने जगह-जगह सफाई शुरू कर दी है. जहां भी हमें कुछ मिल रहा है वहां खुदाई कराई जा रही है. हमने उनके सौंदर्यीकरण की योजना भी बनाई है. हमारी जो धार्मिक मान्यताएं हैं उसके आधार पर इसे आगे बढ़ाया जा रहा है. आम जनता को भी उनके पास ले जाया जाए. इसलिए भी काम किया जा रहा है. इन कूपों के दर्शन मात्र से हमें क्या फल मिलेंगे ये सब तैयार कर लिया गया है. 



हमारे अतिक्रमण अभियान का मुख्य उद्देश्य हमारे नाले, सार्वजनिक स्थान, हमारे बाजार जहां लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है, उनकी देखभाल करना है. पूरी कार्रवाई नियमानुसार की जा रही है. पहले हमने लोगों से संपर्क किया और घोषणा कराई. जनता के साथ बैठक भी की और सबकी सहमति के बाद हमने अतिक्रमण अभियान शुरू किया. अच्छी बात है ये कि संभल के व्यापारी लोगों ने पूरा साथ दिया है. उन्होंने खुद अतिक्रमण को अपने हाथों से हटाया है. हम लगातार इस कैंपेन को आगे बढ़ा रहे हैं. 


मंदिर और मूर्तियों का एएसआई परीक्षण
बता दें कि संभल में मिले प्राचीन मंदिर, मूर्तियों और कूपों का एएसआई परीक्षण किया जा रहा है. शनिवार को एएसआई टीम कल्कि मंदिर भी पहुंची और इस जगह का भी परीक्षण किया. सँभल में कल्कि मंदिर सबसे प्राचीन और भव्य हैं जिसमें आज भी पूजापाठ होता है. इस मंदिर का प्राचीन कूप कहां है इसकी भी सर्च किया जा रहा है. यहां मिली मूर्तियों की कार्बन डेटिंग की जाएगी. ताकि इनकी पौराणिकता का पता चल सके.  


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