Chandausi ASI Survey: उत्तर प्रदेश स्थित संभल के चंदौसी इलाके में आज आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की 2 सदस्यीय टीम रानी की बावड़ी का प्राथमिक निरीक्षण कर रही है.निरीक्षण में ASI की टीम ने नगरपालिका प्रशासन को आदेश दिया है कि जेसीबी का खुदाई में बिल्कुल भी प्रयोग ना किया जाए, जिस प्लॉट पर खुदाई चल रही है उस पूरे प्लॉट पर जेसीबी खड़ी भी ना की जाए क्योंकि इससे बावड़ी को नुकसान पहुंच सकता है. निरीक्षण के दौरान ASI की टीम ने बावड़ी की नपाई भी की जिसमें बावड़ी के एक गलियारे से दूसरे गलियारे की दूरी लगभग 19 मीटर मिली है.
ASI की टीम ने बावड़ी की दीवारों का निरीक्षण करने के बाद अनुमान लगाया है कि बावड़ी का अभी जो हिस्सा दिख रहा है वो आधुनिक है क्योंकि बावड़ी के प्राचीन हिस्से को प्लास्टर के कोट किया गया है.
सूत्रों के अनुसार बावड़ी में कुछ जगहों पर प्लास्टर उखड़ा हुआ मिला है, जिसका निरीक्षण और फोटोग्राफी करने के बाद, बावड़ी की मूल इंटों को देखने के बाद ASI की टीम का अनुमान है कि बावड़ी कम से कम 170 साल से ज्यादा पुरानी है. साथ ही ASI की टीम को अपने निरीक्षण के दौड़ना रानी की बावड़ी में 20 से ज्यादा छोटे बड़े आले मिले हैं.
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सूत्रों के मुताबिक रानी की बावड़ी के निरीक्षण में ASI की टीम को बाहरी ओर पर 10 घुमावदार द्वार मिले हैं. इसके अलावा खंभों पर बनी नक्काशियां और आकृतियां भी 150 साल पहले की प्रतीत होती है. ASI के निरीक्षण में यह भी सामने आया है कि बावड़ी पर कम से कम 2 बार आधुनिक निर्माण हुए हैं जैसे अपग्रेडेशन हुए हैं.
सूत्रों की मानें तो निरीक्षण में ASI की टीम का अनुमान है बावड़ी दिल्ली की उग्रसेन की बावड़ी से मेल खाती है.