Raksha Bandhan 2023: यूपी के इस गांव में सदियों से रक्षाबंधन नहीं मना रहे हैं लोग, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप
Raksha Bandhan 2023 Muhurt: रक्षाबंधन के पर्व पर यहां कोई भी एक दूसरे को राखी नहीं बांधता है और जो दुल्हनें इस गांव में शादी होकर आती हैं वह भी अपने भाइयों को राखी बांधने नहीं जाती हैं..
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Sambhal News: रक्षा बंधन के मौके पर इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को उनकी कलाई पर राखी बांधकर गिफ्ट लेती है. लेकिन उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक गांव ऐसा भी है, जहां के निवासी रक्षा बंधन नहीं मनाते हैं. हम बात कर रहे हैं. संभल जिले के बेनीपुर चक गांव की है. शहर से मात्र पांच किलोमीटर दूर इस गांव में सदियों से रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाता. गांव के लोगों के द्वारा रक्षाबंधन नहीं मनाने के पीछे वजह यह है कि कहीं बहन उपहार में जमीन-जायदाद न मांग ले जिससे उन्हें फिर अपना गांव छोड़ना न पड़े. इस डर से इस गांव के लोग रक्षाबंधन के नाम से ही डरते हैं.
जानकारी के अनुसार संभल तहसील क्षेत्र के गांव बेनीपुर के ग्रामीण रक्षाबंधन नहीं मनाते. इसके पीछे मान्यता यह है कि कहीं बहन फिर से कोई ऐसा उपहार न मांग ले जिससे गांव छोड़ना पड़े. गांव के बुजुर्गों की मानें तो उनके पूर्वज पहले अलीगढ़ की अतरौली तहसील के गांव सेमराई में रहते थे. मान्यता के अनुसार रक्षाबंधन पर गांव में ठाकुर परिवार की बेटी यादव परिवार को राखी बांधती थी और यादव परिवार की बेटी ठाकुर परिवार को राखी बांधती थी. ठाकुर के पास एक बहुत अच्छी घोड़ी थी और यादव परिवार के पास ज़मींदारी थी. एक बार यादव परिवार की बेटी ने जब ठाकुर को राखी बांधी तो उपहार में ठाकुर से उनकी घोड़ी मांग ली. ठाकुर ने अपनी घोड़ी यादव परिवार की बेटी को दे दी, इसके बाद ठाकुर परिवार की बेटी ने जब यादव परिवार को राखी बांधी तो उन्होंने उपहार में यादव परिवार से उनकी पूरी जमीन जायदाद ही मांग ली. यादव परिवार वचन के अनुसार अपनी पूरी जमीन जायदाद ठाकुर परिवार की बेटी को दे दी और फिर उस गांव से पलायन कर गए.
अलीगढ़ से संभल आकर बसे थे गांववालों के पूर्वज
पलायन करके अलीगढ़ से संभल के पास आकर जंगलों में उन्होंने अपना डेरा डाल लिया और यही रहने लगे. उस दिन के बाद से यादव परिवार ने रक्षाबंधन का पर्व मनाना ही छोड़ दिया. पीढ़ी दर पीढ़ी यह परंपरा चलती गयी और आज उस यादव परिवार के कई गांव आसपास बस गए लेकिन कोई भी रक्षाबंधन का पर्व नही मानता. वहीं गांव की युवतियों का कहना है कि उनका भी मन करता है कि वह भी अपने भाइयों को राखी बांधे लेकिन गांव में बुजुर्गों की जो परंपरा चली आ रही है उसकी वजह से रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है. वही गांव की महिलाओं का कहना है कि जब हमारे पूर्वजों ने इस पर्व को नहीं मनाया तो हमारा भी मन इस पर्व को मानने को नहीं करता है.
भाइयों को राखी बांधने नहीं जाती गांव की बहुएं
यही वजह है कि रक्षाबंधन के पर्व पर यहां कोई भी एक दूसरे को राखी नहीं बांधता है और जो दुल्हनें इस गांव में शादी होकर आती हैं वह भी अपने भाइयों को राखी बांधने नहीं जाती हैं. वही गांव के बुजुर्गों का कहना है कि राखी बंधवाने के कारण एक बार फिर उन्हें बेघर होना पड़ सकता है. बस इसी डर से अब वह राखी का पर्व ही नहीं मनाते है. वही गांव के युवाओं का कहना है कि यह हमारे गांव की परंपरा है हमारे पूर्वजों ने जो फैसला लिया था हम आज भी उस पर अडिग हैं और अपने पूर्वजों का सम्मान करते हैं. उन्होंने जो भी परंपरा डाली है हम उसका निर्वाह करते रहेंगे. इसी वजह से संभल के इस गांव में रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाता है.
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