UP News: संभल की अदालत ने पति को जला कर मार देने के जुर्म में पत्नी को उम्र कैद की सजा सुनाई है. सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता हरीश सैनी ने बताया कि मामला कुढ़ फतहगढ़ थाना क्षेत्र के विचेता गांव का है. 15 अप्रैल, 2019 को प्रेमश्री उर्फ नन्ही ने सुबह 6 बजे सोते में 25 वर्षीय पति सत्यवीर सिंह पर पेट्रोल छिड़क कर आग के हवाले कर दिया था. उन्होंने बताया कि वारदात के समय घर वाले खेत में गेंहू की फसल काटने गए थे. आग में सत्यवीर का शरीर 90 प्रतिशत तक झुलस गया था.
काला रंग होने की वजह से पति को जला कर मार डाला
इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. मृतक के भाई हरवीर सिंह ने थाना कुढ़ फतहगढ़ में सत्यवीर की पत्नी के खिलाफ भारातीय दंड संहिता की धारा 302 का मुकदमा दर्ज कराया था. सुनवाई के दौरान हरवीर सिंह ने अदालत को बताया कि भाभी भाई को ताना मारा करती थी. भाभी को अपनी खूबसूरती पर घमंड था. बात-बात में भाई के काले रंग का उलाहना देती थी. दोनों के बीच रंग को लेकर अक्सर विवाद होता था. भाभी भाई को अलग होने तक की धमकी देती थी.
अदालत ने पत्नी को सुनाई आजीवन कारावास की सजा
मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद अपर न्यायाधीश प्रथम अशोक कुमार यादव ने चार नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था. सोमवार को अदालत ने प्रेमश्री उर्फ नन्ही को दोषी करार देने के साथ आजीवन कारावास की सजा का एलान किया. सैनी ने बताया कि उम्र कैद के साथ अदालत ने दोषी पत्नी पर 25,000 रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. सुनवाई के दौरान 10 गवाहों की गवाही हुई. पुलिस ने अदालत में सबूत के तौर पर घटनास्थल से बरामद पेट्रोल की खाली केन और लैब रिपोर्ट पेश किए.
सजा दिलाने में अदालत ने केस डायरी को अहम माना. सत्यवीर ने मरे से पहले पुलिस को दिए बयान में घटना का जिम्मेदार पत्नी को ठहराया था. अदालत की तरफ से दोषी करार दिए जाने के बाद प्रेमश्री ने देवर पर जमीन हड़पने का आरोप लगाया. उसने अदालत को बताया कि पति के नाम खेत और जमीन है. जमीन पर पति के भाई की बुरी नजर है. इसलिए ससुराल वाले फंसा रहे हैं. उसने घटना को अंजाम देने से इंकार किया. महिला ने अदालत को बताया कि वारदात के दिन लगी आग को बुझा रही थी.
ससुराल वालों साजिश के तहत फंसा दिया है. अगलगी की घटना में मैं भी जल गई थी. प्रेमश्री के बयान पर अदालत ने सवाल उठाए. सवाल था कि प्रेमश्री पति सत्यवीर को बचा रही थी, तो उसने मेन गेट की कुंडी क्यों नहीं खोली? घर में सत्यवीर और उसके अलावा कोई नहीं था. बचाने के समय हाथ जलते हैं, जबकि प्रेमश्री के हाथों में कहीं भी जलने का कोई निशान नहीं था.
न्यायाधीश ने कुल 32 पन्नों में मामले का फैसला सुनाया. अदालत ने कहा, ''सबूतों और अपराध की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए दोष सिद्ध प्रेमश्री को धारा-302 के तहत आजीवन कारावास और जुर्माना लगाया जाता है. दोष सिद्ध होने के बाद प्रेमश्री की ओर से 6 साल की बेटी का हवाला दिया गया. बताया गया कि परवरिश की जिम्मेदारी मां के कंधों पर है. इसलिए अदालत से सजा में रियायत की अपील की जाती है. सजा में कमी की अपील को रद्द करते हुए न्यायाधीश ने पत्नी को जेल भेज दिया.
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