Sambhal Masjid News: यूपी के संभल में जामा मस्जिद को लेकर एक विवाद सामने आया है. जहां हिंदू पक्ष ने मस्जिद के श्री हरि हर मंदिर होने का दावा किया है. इस मामले को लेकर हिंदू पक्ष कोर्ट पहुंचा. कोर्ट ने पूरे परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया और इस सर्वे की रिपोर्ट भी 29 नवंबर तक मांगी है. इसके बाद मंगलवार देर शाम एडवोकेट कमीशन की टीम ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में मस्जिद के अंदर सर्वे भी किया गया.
अब इस विवाद में जमीयत उलेमा ए हिंद की भी एंट्री हो गई है. जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि इतिहास के गड़े मुर्दे उखाड़ने से देश को गंभीर नुकसान हो रहा है.
मौलाना मदनी ने कहा कि इतिहास के झूठ और सच को मिलाकर सांप्रदायिक तत्व देश की शांति और व्यवस्था के दुश्मन बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि पुराने गड़े मुर्दे उखाड़ने से देश की धर्मनिरपेक्ष बुनियादें हिल रही हैं. इसके साथ ही ऐतिहासिक संदर्भों को दोबारा वर्णित करने की कोशिशें राष्ट्रीय अखंडता के लिए किसी भी तरह से अनुकूल नहीं हैं.
अयोध्या की बाबरी मस्जिद की याद दिलाते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि देश में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 लागू किया गया था ताकि मस्जिद-मंदिर विवादों का केंद्र न बनने पाए.
सर्वे के फसैले पर उठाए सवाल
सिविल जज सीनियर डिवीजन में सर्वे करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए मदनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी श्री राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में फैसला सुनाते हुए इस कानून को जरूरी बताया था, लेकिन अदालतें आज इसे नजरअंदाज कर के फैसले दे रही हैं. हर गुज़रते दिन के साथ कहीं न कहीं मस्जिद का विवाद खड़ा किया जा रहा है और फिर 'सच्चाई जानने' के नाम पर अदालतों से सर्वेक्षण की अनुमति ले ली जाती है.
मौलाना मदनी ने आगे कहा कि हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन अदालतों को फैसला लेते समय यह जरूर देखना चाहिए कि देश और समाज पर इसके क्या प्रभाव पड़ेंगे.
मौलाना मदनी ने जमकर उलेमा ए हिंद की तरफ से इस विवाद में संभल की जामा मस्जिद समिति की कानूनी मदद करने के लिए भी कहा है.