संभल मंदिर: लोगों ने कहा- 'दहशत की वजह से 1978 के दंगों के बाद बंद करके चले गए, दुकान जलाई गई'
संभल में मंदिर मिलने के बाद बयानबाजी बढ़ती जा रही है. अब एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि 1978 के दंगों के बाद यहां जो 40-45 रस्तोगी परिवार के लोग रह रहे थे वो यहां से मंदिर बंद करके चले गए.
Sambhal Mandir: संभल के श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर) में मंगलवार सुबह बड़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों से आए भक्तों ने भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना की. मंदिर के पुजारी शशिकांत शुक्ला ने बताया कि चूंकि मंगलवार भगवान हनुमान का दिन होता है इसीलिए आज सुबह करीब चार बजे मंदिर की सफाई की गई, भगवान हनुमान को चोला चढ़ाया गया, हनुमान चालीसा का पाठ किया गया और मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव का श्रृंगार किया गया.
वहीं खग्गू सराय निवासी 82 साल के विष्णु शंकर रस्तोगी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यह रस्तोगी समाज का मंदिर था. 1978 के दंगों के बाद यहां जो 40-45 रस्तोगी परिवार के लोग रह रहे थे वो यहां से मंदिर बंद करके चले गए. उसके बाद पूजा पाठ भी बंद हो गया. हम यहां बचपन से रहे हैं, यहां से लोग दहशत की वजह से चले गए. आस-पास मुस्लिम समाज के लोग और आस-पास की गालियां भी मुस्लिम समाज की थी.
उन्होंने बताया कि 1978 मैं जो कत्ले आम हुआ था, उसकी दहशत के चलते चले गए मेरी दुकान भी दुकान जलाई गई थी. मंदिर की परिक्रमा भी होती थी. लगभग 4 फुट का परिक्रमा मार्ग था, कुएं के पास पीपल का पेड़ भी था. वहीं पुजारी ने बताया कि आज दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. यह सोचकर मेरा दिल व्यथित हो जाता है कि इतने वर्षों तक देवी-देवता अंधेरे में रहे और मूर्तियों को कुएं में फेंक दिया गया.
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क्या बोले अधिकारी और पुजारी
पुजारी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, संभल के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को धन्यवाद दिया. मंगलवार को मंदिर में आए श्रद्धालु विक्की कुमार ने कहा, ‘‘हम संभल में रहते हैं. इतना प्राचीन मंदिर 46 साल बाद खुला है, इसलिए आज मंगलवार के दिन मैं अपने परिवार के साथ दर्शन करने आया हूं.’’
अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि संभल में भस्म शंकर मंदिर के कुएं के अंदर तीन खंडित मूर्तियां मिलीं. मंदिर को 46 साल तक बंद रहने के बाद पिछले हफ्ते फिर से खोला गया था. मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति और शिवलिंग स्थापित थे. यह 1978 से बंद था. मंदिर के पास एक कुआं भी है जिसे अधिकारियों ने फिर से खोलने की योजना बनाई थी.