संभल हिंसा पर बोले वकील- पूर्व नियोजित थी हिंसा, दूसरा सर्वे ‘एडवोकेट कमिश्नर’ के आदेश पर हुआ
संभल की जामा मस्जिद में सर्वेक्षण का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए. इस दौरान चार व्यक्तियों की मौत हो गई. हिंसा, गोलीबारी और पथराव में 20 लोग जख्मी हुए.
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Sambhal News: संभल की शाही जामा मस्जिद में गत रविवार को हुआ सर्वे अदालत के आदेश पर नहीं होने के मस्जिद प्रबंध समिति के आरोपों के बाद बुधवार को हिंदू पक्ष के वकील ने कहा कि दूसरा सर्वेक्षण ‘एडवोकेट कमिश्नर’ के आदेश पर हुआ था और यह जल्दबाजी में लिया गया निर्णय नहीं था. हिंदू पक्ष के वकील गोपाल शर्मा ने कहा, 'दोबारा सर्वे कोई जल्दबाजी का निर्णय नहीं था. इस सर्वे का आदेश एडवोकेट कमिश्नर का था.'
उन्होंने कहा, 'जिस दिन बवाल हुआ, तब मैं वहां मौजूद था. मुझे लगता है यह (हिंसा) पूर्व नियोजित था. उस समय उक्त मस्जिद में दूसरे पक्ष (मुस्लिम पक्ष) की ओर से तीन अधिवक्ता, मस्जिद कमेटी के लोग और इमाम भी मौजूद थे और उन्होंने भी शांति की अपील की थी.'
शर्मा ने कहा, 'उन्होंने (उपद्रवियों) हमारी तरफ भी पत्थर फेंके. पुलिस ने उन्हें खदेड़ा लेकिन वे पुलिस पर लगातार ईंट-पत्थर फेंक रहे थे. पुलिस पर गोलीबारी उन्होंने ही की. कई पुलिसकर्मियों को छर्रे लगे. उपद्रवियों ने अपना चेहरा ढका हुआ था.'
उन्होंने कहा, 'अब 29 नवंबर को एडवोकेट कमिश्नर सर्वे की रिपोर्ट अदालत को सौंपेंगे. दोनों पक्ष मौजूद रहेंगे.'
प्रशासन द्वारा जबरन वजूखाने का पानी खाली कराने के आरोप पर शर्मा ने कहा, 'हौज तो हर हफ्ते खाली किया जाता है. यदि हौज खाली नहीं होता तो उसकी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कैसे होती?'
उन्होंने कहा, 'तथाकथित (जामा) मस्जिद में वर्ष 1978 तक हिन्दू पक्ष भी पूजा करने जाता था. वर्ष 1978 में दंगे के बाद हिन्दू पक्ष का जाना बंद हो गया था.'
शर्मा ने कहा, 'यहां एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) का बोर्ड भी लगा है. यह एएसआई द्वारा संरक्षित क्षेत्र है. यहां हर साल एएसआई दो बार सर्वे भी करता है. जब यह एएसआई संरक्षित क्षेत्र है तो यहां नमाज होना भी उचित नहीं है.'
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समाजवादी पार्टी के विधायक इकबाल महमूद ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि उन्हें ‘एडवोकेट कमिश्नर’ से कोई आपत्ति नहीं है, यह अदालत का अधिकार है. उनके बेटे सोहेल महमूद का नाम भी हिंसा के संबंध में दर्ज प्राथमिकी में है.
इकबाल महमूद ने क्या कहा?
इकबाल महमूद ने कहा,''हमारी यह सोच है, कोई भी अदालत हो बिना दूसरे पक्ष को सुने कैसे आदेश दिया गया. दूसरे पक्ष को बुलाया ही नही गया,चार घंटे मैं फैसला सुना दिया गया. कमीशन होगा कमीशन आ भी गया , रिपोर्ट भी तैयार हो गया हमें जवाब देने और सफाई देने का मौका नहीं मिला कानूनन मिलना चाहिए.'
भीड़ के भड़कने का कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह गलतफहमी थी, जब पुलिस जामा मस्जिद के पास जमा हुई तो लोगों में उत्सुकता पैदा हो गई.
उन्होंने कहा, 'जब लोग जमा हुए तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया और किसी ने पीछे से ईंट फेंकी और फिर पुलिस ने गोलियां चलाईं. जब मस्जिद के वजूखाने से पानी निकला तो लोगों को लगा कि खुदाई हो रही है.'
इकबाल ने बेटे के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के बारे में पूछे जाने पर कहा,'पुलिस को हमें उसकी फुटेज दिखानी चाहिए. अगर उसने उकसाया है, अगर उसने कोई भाषण दिया है, अगर वह भीड़ में है और उसकी फोटो आती है तो हम उसे दोषी मानेंगे.'
जब उनसे पूछा गया कि पुलिस नकाबपोश लोगों की फोटो जारी करेगी तो उन्होंने कहा कि जब पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले दागे जाते हैं और वह नाक के अंदर चले जाते हैं, तो जिस व्यक्ति के पास रूमाल होता है वह उसे मुंह पर रख लेता है.
उन्होंने कहा, 'अगर मैं उन्हें नकाबपोश कहता हूं तो मुझे नहीं लगता कि यह सही है.'
जामा मस्जिद प्रबंधन समिति के अध्यक्ष जफर अली से जब हिंदू पक्ष के वकील की बातों पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गयी तो उन्होंने व्यस्तता का हवाला देते हुए बात करने से इनकार कर दिया.
अली ने रविवार को मस्जिद परिसर के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा के लिये स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए सोमवार को कहा था कि मस्जिद में खुदाई की अफवाह फैलने से भीड़ उग्र हुई.
अली ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था, 'मस्जिद का जो दोबारा सर्वे हुआ वह अदालत के आदेश से नहीं बल्कि सिर्फ जिलाधिकारी के आदेश पर हुआ था. यह सर्वे गैर कानूनी तरीके से हुआ था.'
उन्होंने इस घटना के लिये संभल की उप जिलाधिकारी वंदना मिश्रा और पुलिस क्षेत्राधिकारी अनुज कुमार को दोषी करार दिया था. उनका आरोप था कि उप जिलाधिकारी ने जिद करके वजूखाने का पानी निकलवाया, जबकि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने कहा था कि डंडे से पानी की गहराई नाप ली जाए. मगर उप जिलाधिकारी की जिद पर जब हौज का पानी निकाला गया तो बाहर जमा लोगों में भ्रम पैदा हुआ कि मस्जिद में खुदाई की जा रही है और वे उग्र हो गये.
पुलिस ने अली को हिरासत में ले लिया था
अली ने आरोप लगाया था कि जब मस्जिद के बाहर भीड़ एकत्र हो रही थी तो पुलिस क्षेत्राधिकारी अनुज कुमार ने उन लोगों को गालियां दीं और लाठीचार्ज करवा दिया, जिससे लोगों में अफरा-तफरी मच गयी.
उन्होंने खुद पुलिस को भीड़ पर गोलियां चलाते देखने का दावा किया था. हालांकि इस संवाददाता सम्मेलन के बाद पुलिस ने अली को हिरासत में ले लिया था.
संभल की जामा मस्जिद में रविवार को किये जा रहे सर्वेक्षण का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे. इस दौरान चार व्यक्तियों की मौत हो गई थी. इस हिंसा, गोलीबारी और पथराव में उप जिलाधिकारी रमेश चंद्र समेत कुल 20 लोग जख्मी हुए हैं. इस मामले में अब तक कुल सात मुकदमे दर्ज कर 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
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