Ban on PFI: केन्द्र सरकार ने देशभर में पीएफआई (PFI Ban) के आतंकी गतिविधियों में लगातार सक्रियता के सबूत मिलने के बाद संगठन को बैन कर दिया है. केंद्र सरकार ने पीएफआई (PFI) को पांच सालों के लिए बैन किया है. केंद्र सरकार के इस फैसले पर अब प्रतिक्रियाओं का दौर भी शुरू हो गया. अब संभल (Sambhal) से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) सांसद शफीकुर्रहमान बर्क (Shafiqur Rahman Barq) ने भी प्रतिक्रिया दी है. 


सपा सांसद ने कहा, "पीएफआई पढ़े लिखों का संगठन है, पढ़े-लिखों की पार्टी है. मुसलमानों को रिप्रेसेंट करती है. मुसलमानों पर होने वाली ज्यादती पर खड़ी होती है, इसलिए बैन कर दिया गया है. हमने पीएफआई की कोई देश विरोधी गतिविधि नहीं देखी है. जांच एजेंसियां किसी को भी इनवालव कर देती है. मुसलमानों संग जुल्म-ज्यादती करने वाली आरएसएस पर बैन क्यों नहीं लगाया? आरएसएस ने मुसलमानों के खिलाफ फर्जी कार्रवाई और जुल्म किया है. हमारे रसूल के खिलाफ बोलने वाले के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?"


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रिजवी ने सरकार के फैसले का किया समर्थन
वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने प्रतिक्रिया देते हुए सरकार के इस कदम को अच्छा बताया. उन्होंने कहा, "सरकार ने कट्टरपंथी संगठन पीएफआई पर प्रतिबंध लगाकर अच्छा कदम उठाया है. भारत की सरजमीं कट्टरपंथी विचारधारा की सरजमीं नहीं है और न यहां ऐसी कट्टरपंथी विचारधारा पनप सकती जिससे मुल्क की एकता-अखंडता को खतरा हो."


इससे पहले भी सपा सांसद ने पीएफआई की पैरवी की थी. तब उन्होंने पीएफआई की पैरवी करते हुए कहा था कि पीएफआई पार्टी है और वह अपनी संस्था चला रही है. उनको क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है और उनका गुनाह क्या है. सांसद ने आगे कहा था कि क्या उनसे कुछ खतरा हो गया है. मुल्क के लिए खतरा हो गया है या इस पार्टी के लिए खतरनाक है. आखिर मुसलमानों को परेशान क्यों किया जा रहा है. वक्फ संपत्तियों की जांच कराई जा रही है. कहीं सरकार मदरसों की जांच में कुछ नहीं मिला तो अब वक्त संपत्ति की जांच का फरमान जारी कर दिया है. 


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