Sambhal Violence News: संभल हिंसा के बाद समाजवादी पार्टी के नेता ग्राउंड जीरो पर जाने के लिए कई दिनों से कोशिश कर रहे हैं लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली. शनिवार (30 नवंबर) को भी नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के नेतृत्व में सपा का 15 नेताओं का डेलीगेशन संभल हिंसा के पीड़ितों से मिलने जा रहा था लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक लिया था. इस पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी सरकार पर सवाल उठाए थे.
संभल जाने से रोके जाने पर सपा नेता रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि हम शांति पूर्वक जा रहे थे. पुलिस ने हमें बल पूर्वक रोक दिया. सुबह दिल्ली से संभल जाने के लिए 3 नेताओं ने कूच किया था, जिसमें सपा सांसद हरेंद्र मलिक, सांसद जियाउर्रहमान बर्क और इकरा हसन थीं और यह अपने कार्यकर्ताओं के साथ संभल जाने की कोशिश में थे.
वहीं दूसरी ओर लखनऊ से यूपी विधानसभा के नेता विपक्ष माता प्रसाद पांडेय अपने साथी नेताओं के साथ संभल में उन परिवारों से मिलने जाने वाले थे. जो या तो घायल हैं या फिर जिनके बच्चों की गोली लगने से मौत हो गई. वहीं सपा सांसद रुचि वीरा भी संभल जाने की कोशिश करती रहीं लेकिन सफल नहीं हो पाईं.
सपा के 5 बड़े नेताओं को पुलिस ने रोका
सपा सांसद हरेंद्र मलिक और सांसद जियाउर्रहमान बर्क को दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर रोका. वहीं माता प्रसाद पांडेय को लखनऊ में और सपा सांसद रुचि वीरा को पुलिस वालों ने मुरादाबाद से आगे नहीं बढ़ने दिया. इसके अलावा कैराना से सांसद इकरा हसन को हापुड़ में रोक दिया.
दिल्ली-यूपी बॉर्डर के पास डिवाइडर पर ही बैठ गए हरेंद्र मलिक
पुलिस के रोकने पर सपा सांसद हरेंद्र मलिक दिल्ली-यूपी बॉर्डर के पास डिवाइडर पर ही बैठ गए. गाजीपुर बॉर्डर पर काफिला रुकने से जाम की स्थिति बन गई. हरेंद्र मलिक वहां से नहीं हिले और काफी देर तक डिवाइडर पर बैठे रहे.
सपा सांसद हरेंद्र मलिक ने कहा कि एसीपी साहब बहुत बड़े आदमी हैं और हम छोटे हैं इसलिए हमें यहाँ इंतज़ार कराया जा रहा है. ये साफ तौर पर हमारी तौहीन है, Breach of Protocol है. पुलिस कह रही है पहले एसीपी साहब आएगे, हमसे बात करेंगे. हरेंद्र मलिक पुलिस वालों के व्यवहार से नाराज दिखे. लोकतंत्र का हवाला देते हुए पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि संभल की हकीकत सामने आने से रोकने के लिए पुलिस वहां जाने नहीं दे रही.
सरकार सच सामने आने नहीं देना चाहती- सपा सांसद रुचि वीरा
समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क भी दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर अपनी गाड़ी में काफी देर तक बैठे रहे . सपा सांसद ने कहा तीन दिन पहले हमारा डेलिगेशन जा रहा था संभल के लिए. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बनाया था, लेकिन डीजीपी यूपी ने कहा था कि उस वक्त वहां न जाएं. तो हम लोग नहीं गए. जनप्रतिनिधियों के जाने से स्थिति खराब नहीं होती बल्कि सुधरती है. लेकिन अफसोस है, इस प्रकार से रोकना गलत है...सच सामने न आ सके इसलिए रोका गया है. समाजवादी पार्टी की सांसद रुचि वीरा ने भी आरोप लगाया कि सरकार सच सामने आने नहीं देना चाहती.
अखिलेश यादव ने प्रशासन पर उठाए सवाल
वहीं समाजवादी पार्टी के डेलिगेशन को संभल जाने से रोकने पर अखिलेश यादव भड़क गए. अखिलेश यादव ने संभल में बाहरी लोगों की एंट्री पर रोक के आदेश की कॉपी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म x पर शेयर करते हुए लिखा-"प्रतिबंध लगाना BJP सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है. ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फ़साद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता. BJP जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देती है, वैसे ही संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक मंडल निलंबित करके उन पर साज़िशन लापरवाही का आरोप लगाते हुए, सच्ची कार्रवाइ करके बर्ख़ास्त भी करना चाहिए और किसी की जान लेने का मुक़दमा भी चलना चाहिए."
संभल में सपा प्रतिनिधिमंडल भेजना नौटंकी है- केशव प्रसाद मौर्य
समाजवादी पार्टी के इस हमले का जवाब यूपी के सरकार डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने दिया. केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि संभल सपा प्रतिनिधिमंडल भेजना नौटंकी है, हमले की न्यायिक जांच हो रही है. अखिलेश यादव पराजय का दर्द नहीं भुला पा रहे हैं, खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे, कुंदरकी मैं उनका जमीं खिसक गया. वहीं डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि अखिलेश यादव को माफी मांगनी चाहिए और हिंसा के लिए समाजवादी पार्टी के नेताओं को ही जिम्मेदार ठहराया.