Sambhal Violence News: यूपी के संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा और चार लोगों की मौत से जुड़े मामले का राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है. आयोग ने इस घटना को लेकर जांच बिठा दी है. संभल जिले के एसपी इस मामले की जांच करेंगे. एसपी को 13 जनवरी तक अपनी जांच रिपोर्ट आयोग को सौंपनी होगी. राज्य मानवाधिकार आयोग इस मामले में 15 जनवरी को सुनवाई करेगा.
सोशल एक्टिविस्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील डॉ गजेंद्र सिंह यादव ने घटना की शिकायत आयोग में की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि संभल में सर्वे के दौरान जो हिंसा हुआ वो वहां के पुलिस प्रशासन की नाकामी से हुई है. इस हिंसा के लिए सरकारी अमला ही जिम्मेदार है.
संभल हिंसा पर सियासत तेज
दूसरी तरफ इस मामले को लेकर जमकर सियासत भी देखने का मिल रही है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी अपने प्रतिनिधिमंडल को संभल भेजना चाहती है लेकिन, प्रशासन ने दस दिसंबर तक संभल में किसी भी बाहरी के प्रवेश पर रोक लगाई हुई है. सोमवार सँभल जाने की ज़िद पर अड़े कांग्रेस नेताओं ने लखनऊ से मुरादाबाद और गाज़ियाबाद तक जमकर बवाल किया. हालांकि पुलिस ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को रास्ते में ही रोक दिया, वहीं कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा मोना समेत कई नेताओं को घर में कैद कर लिया.
समाजवादी पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी जेल में जाकर हिंसा के आरोपियों से मुलाकात की. सपा के पूर्व सांसद एसटी हसन ने कहा कि जिन लोगों को झूठे मुकदमों में फंसाया गया है पार्टी उनकी कानूनी मदद करेगी. उन्होंने कहा जेल में आरोपियों की हालत ख़राब हैं. मुलाकात के दौरान आरोपियों ने अपने समस्याएं बताई तो वहीं कई आरोपी ऐसे थे जो सिर्फ रोते रहे उनके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला.
बता दें 24 नवंबर को संभल की शाही मस्जिद के सर्वे को लेकर हिंसा भड़क गई थी, जिसके बाद भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया. इसके बाद उपद्रवियों ने कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की और उन्हें आग के हवाले कर दिया. इस हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए थे. पुलिस ने इस मामले में 2750 आरोपियों पर मुकदमा दर्ज किया है. इनमें से अधिकांश अज्ञात हैं. संभल मामले में जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, उनमें समाजवादी पार्टी के संभल से सांसद जिया उर रहमान बर्क और संभल के विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल भी शामिल हैं.