ASI की चार सदस्यीय टीम आज पहुंचेगी संभल, कार्तिकेय मंदिर और कुंए की होगी कार्बन डेटिंग
Sambhal Mandir News: उत्तर प्रदेश स्थित संभल में मंदिर का सर्वे आज हो सकता है. जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने इस संदर्भ में ASI को चिट्ठी लिखी थी.
Sambhal Mandir Survey: उत्तर प्रदेश स्थित संभल में 46 साल बाद खुले कार्तिकेय मंदिर की कार्बन डेटिंग के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की चार सदस्यीय टीम मौके का मुआयना करेगी. जानकारी के अनुसार टीम 3 बजे के बाद संभल पहुंचेगी. संभल में आज मंदिर का ASI सर्वे हो सकता है. कार्तिकेय मंदिर और कुओं के इतिहास की जांच होनी है. कल राजस्व विभाग ने की फोटोग्राफी थी. ASI की टीम मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग करेगी. मंदिर और कुआं कितना पुराना इसकी जांच होगी.
खग्गू सराय के मंदिर और कुएं की प्राचीनता की जांच के लिए ASI की टीम आज यहां पहुंचेगी. इस जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि मंदिर और कुएं कितने पुराने हैं. इसकी जांच के लिए डीएम ने ASI को पत्र लिखा था. मंदिर के बाहर वाले हिस्से की तस्वीरे में जहां मंदिर की पताका लगी हुई वो स्ट्रक्चर काफी पुरानी नजर आता है और देखकर ऐसा लगता है कि इस मंदिर का निर्माण काफी पहले कराया गया था. इसकी जांच के लिए दोपहर बाद ASI की टीम यहां पहुंचेगी.
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संभल में 68 तीर्थ!
मंदिर के अंदर वाला हिस्सा जहां मूर्तियां लगी हुई हैं, उन मूर्तियों में हनुमान जी, गणेश जी, मां पार्वती की प्रतिमा शामिल है. इसके अलावा शिवलिंग है. इन सबकी जांच कार्बन डेटिंग के जरिए ASI करेगी. जैसे लोगों की आस्था की यहां नजर आती है और खासकर हिंदू समुदाय के लोगों के लिए मंदिर की प्राचीनता को जानने के लिए ASI जांच करेगी क्योंकि लोगो का कहना है कि मंदिर काफी सालों पहले यहां बनाया गया था.
शास्त्रों के अनुसार संभल में 68 तीर्थ हैं, उसी तरह का स्ट्रक्चर यहां नजर आता है. इसे देखकर लगता है कि मंदिर को बनाने सुर्की,चूना, उरद की दाल, सीरा को मिलाकर और काकैया ईंट (लखौरी ईंटें) इनका इस्तेमाल किया गया है. इसके साथ पहले के समय आले बनते थे क्योंकि बिजली नहीं थी.. वो भी मंदिर में बने हैं. जैसे दूसरे तीर्थ हैं वैसी ही मूर्ति यहां भी है. इसके साथ ही मंदिर के पास ही बने कुएं की जांच भी ASI करेगी और कुएं की खुदाई में मिली मूर्तियां जिनमें गणेश, कार्तिक और पार्वती जी की मूर्ति उनकी भी जांच ASI करेगी और पता लगाने की कोशिश करेगी कि कब मंदिर को बनाया गया और मंदिर में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया.