मुरादाबाद, एबीपी गंगा। उत्तर प्रदेश के हाथरस में बच्ची के साथ हुई दरिंदगी को लेकर जहां पूरे देश में आक्रोश है. वहीं विपक्ष के नेता भी सत्ताधारी पार्टी पर जमकर निशाना साध रहे हैं. मुरादाबाद के सांसद डॉ. एस टी हसन ने प्रदेश में हो रही घटनाओं को लेकर कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है. कानून व्यवस्था पूरी तरीके से चौपट हो गई है. जब प्रदेश में अधिकारी खुद रंगदारी मांगने लगे हैं तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश में कानून व्यवस्था कैसी है.
सांसद ने कहा कि हाथरस में हुई घटना ने साबित कर दिया है कि इस वक्त प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है. जब कानून का खौफ अपराधियों के दिल से खत्म हो जाता है तो ऐसे भयानक अपराध किया करते हैं. उन्होंने हाथरस में हुई घटना को लेकर कहा कि पीड़िता के साथ हुई बहुत दरिंदगी हुई है. यह एक अफसोसजनक घटना है. पूरी समाजवादी पार्टी और हम सभी लोग दलित भाइयों और उस बेटी के साथ हैं. उन्होंने कहा कि उस बेटी को जल्द से जल्द इंसाफ मिलना चाहिए और घटना को अंजाम देने वाले लोगों को उनके अंजाम तक जल्द से जल्द पहुंचाया जाना चाहिए.
जिला प्रशासन पर भी उठे सवाल
हाथरस जिला प्रशासन के बारे में पूछे जाने पर सपा सांसद ने कहा कि वहां का जिला प्रशासन तो अभी भी यही कह रहा है कि उस लड़की के साथ कोई दरिंदगी नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि जब प्रशासन के हालात इतने निम्न स्तर पर आ गए हैं, तो कोई क्या कर सकता है ?. क्या इंसान को अपने लिए इंसाफ मांगने की भी इजाजत है?. क्या हम एक प्रजातांत्रिक देश में रहते हैं ?.
प्रदेश में जंगलराज
एसटी हसन ने कहा कि भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए लाख दावे करते हों और प्रयास करते हो लेकिन हाथरस में हुई दलित लड़की के साथ हुई घटना के बाद प्रदेश में जंगलराज सा लग रहा है. कहीं ना कहीं हाथरस जिला प्रशासन की भी एक बहुत बड़ी लापरवाही है. अब देखना यह होगा कि दरिंदगी करने वाले लोगों को कब तक सजा मिलती है और लापरवाही बरतने वाले प्रशासनिक अधिकारियों पर प्रदेश के मुख्यमंत्री क्या कार्यवाही करते हैं.
यह बात तो हमें अब सोचना पड़ेगा कि हम डिक्टेटर वाले प्रदेश में रह रहे हैं क्या ? जब अधिकारी कहने लगे ऐसी दरिंदगी वाली घटना के लिए के उसका बलात्कार नहीं हुआ उसकी रीढ़ की हड्डी नही टूटी है जबान नहीं काटी है हो शायद यह हो सकता है कि बात सच हो लेकिन यह बात पोस्टमार्टम में नहीं आए, जब गरीब को इंसाफ नहीं मिलता है तो कहीं ना कहीं ऊपरवाला इंसाफ करता है और उसके इंसाफ में आवाज़ नहीं हुआ करती और उसका हिसाब इस तरीके का होता है कि लोगों की रूह कांप जाती है.
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