Prayagraj News: चैत्र नवरात्र की अष्टमी पर आज संगम नगरी प्रयागराज के देवी मंदिरों में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है. शक्तिपीठ अलोप शंकरी समेत दूसरे देवी मंदिरों में महागौरी स्वरूप में देवी माँ का भव्य श्रृंगार किया गया है.अष्टमी पर देवी माँ के दर्शन और पूजन के लिए मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है.शक्तिपीठ अलोप शंकरी मंदिर के साथ ही कल्याणी देवी, ललिता देवी व दूसरे देवी मंदिरों में सूरज की पहली किरण निकलने से पहले ही श्रद्धालुओं की लम्बी लाइन लगी हुई है.इन मंदिरों में लोग देवी माँ के दर्शन - पूजन कर उनसे अपनी कामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद ले रहे हैं.
धर्म शास्त्रों के मुताबिक कठोर तप के कारण जब मां का वर्ण काला पड़ गया था. तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उनके शरीर को पवित्र गंगाजल से धोया था. इससे मां का शरीर अत्यंत कांतिमान और गौर हो उठा.तभी से मां का नाम महागौरी पड़ा. महागौरी श्वेत वस्त्र और आभूषण धारण करती हैं, इसलिए इन्हें श्वेतांबरधरा भी कहा जाता है.
शंकरी मंदिर में भक्तों की उमड़ी भीड़
नवरात्र की अष्टमी पर प्रयागराज के शक्तिपीठों व देवी मंदिरों को ख़ूबसूरती से सजाया गया है.शक्तिपीठ अलोप शंकरी मंदिर में तो भक्तों की इतनी भीड़ जमा है, कि वहां तिल रखने की भी जगह नहीं है.अलोप शंकरी शक्तिपीठ में कोई मूर्ति नहीं है और वहां मूर्ति के बजाय एक पालने की पूजा की जाती है.पौराणिक कथाओं के मुताबिक शिवप्रिया सती की दाहिने हाथ की छोटी उंगली यही गिरकर कुंड में अलोप यानी अदृश्य हो गई थी. इसी वजह से इस शक्तिपीठ को अलोप शंकरी कहा जाता है.
महागौरी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं होती है पूरी
महागौरी वृषभ पर सवार रहती हैं.इनके चार हाथ हैं दाहिनी ओर का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में रहता है.तो वहीं नीचे वाले हाथ में मां त्रिशूल धारण करती हैं.बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू रहता है.तो नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में रहता है.ऐसी मान्यता है कि मां महागौरी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.
ये भी पढ़ें: UP Lok Sabha Elections: अखिल भारत हिंदू महासभा का फैसला, वापस लिया पीएम मोदी के खिलाफ उम्मीदवार