कानपुर: कोरोना की वजह से नोटों में सैनिटाइजर का छिड़काव अब मुसीबत बनने लगा है. एक तरफ दिवाली पर जारी नई करेंसी का बड़ा हिस्सा सैनिटाइज करने की वजह से खराब हो रहा है, तो दूसरी तरफ एटीएम इन नोटों को पहचानने से इनकार भी कर रहे हैं. सैनिटाइज की गई करेंसी एटीएम में रखने से शहर में 30 से 40 एटीएम की कैसेट खराब होने की सूचना भी है. यही नहीं, सूत्रों की माने तो बैंकों ने अब इन नोटों को नॉन इश्यूएबल कैटेगरी में डालना भी शुरू किया है.
इस तरह खराब हो रहे हैं एटीएम
कोरोना काल में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन तो बढ़ा लेकिन कैश लेनदेन खत्म नहीं हुआ. नोटों के इस्तेमाल के बीच संक्रमित होने के डर से लोगों ने इसमें सैनिटाइजर का छिड़काव किया. साथ ही एटीएम को भी सैनिटाइजर से नहला दिया. नोटों को प्रेस किया गया, इन वजहों से नोटों की जिंदगी आधी रह गई.
जानकारों की माने तो सैनिटाइज किए हुए नोट अकड़ जाते हैं. नई करेंसी की खास इंक और सिक्योरिटी फीचर की वजह से एटीएम ऐसे नोटों को पहचानने से इंकार कर रहे हैं. एटीएम का मेंटेनेंस करने वाली एक बड़ी कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, दो महीने से एटीएम खराब होने की शिकायतें सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना बढ़ गई हैं. यह नोट कैसेट में फंस जाते हैं और बाहर निकलने से ऐन पहले सिक्योरिटी चेक में अटक गए. इस वजह से मशीन खराब हो रही हैं. इसे देखते हुए आरबीआई ने नई करेंसी एटीएम के लिए जारी भी की है. करेंसी चेस्ट की जगह को स्पष्ट निर्देश है कि एटीएम के मद में जारी होने वाली नई करेंसी का पूरा डाटा अलग से रखा जाए.
नई करेंसी साल भर में हुई खराब
जानकार बता रहे हैं कि, अनुमान के मुताबिक कोरोना के कारण 2000 रुपए के कानपुर में तीन करोड़ नोट सैनिटाइजर में धूल गए. यह संख्या साल 2019-20 की तुलना में कई गुना ज्यादा है. इसके अलावा 200, 500 और 20 रुपये के नोट भी खराब हुए हैं. संक्रमण के डर से लोगों ने नोटों को भी सैनिटाइज कर दिया या फिर धोकर धूप में सूखा दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि पुरानी तो छोड़िए नई करेंसी भी सालभर में बेहद खराब हो गई.
दरअसल, जब लोग एटीएम पहुंचे तो उन्हें पैसा निकालने की प्रक्रिया में मशीन को छूना होता है. ऐसे में कुछ लोगों ने ATM के कीपैड और स्क्रीन को सैनिटाइजर से धो दिया. नोट निकलने वाले पॉइंट से लेकर लोगों ने पूरी मशीन को ही सैनिटाइज करने की कोशिश की, जिसके चलते कई मशीन जल्दी ही खराब हो गईं.
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