Deoria Case: देवरिया कांड को लेकर योगी के मंत्री संजय निषाद ने कसा अखिलेश यादव पर तंज, जानें- क्या कहा?
Deoria Murder Case: संजय निषाद ने कहा कि अखिलेश यादव पिछड़ों के नेता हैं, लेकिन पिछड़ों के नाम पर उन्हें सबने वोट दिया पर उन्होंने नौकरी सिर्फ अपने लोगों को ही दी.
Deoria Murder Case News: यूपी के देवरिया में जमीन विवाद को लेकर हुए हत्याकांड को लेकर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद (Sanjay Nishad) का बयान सामने आया है. उन्होंने रविवार को इस घटना की निंदा की और इसे विभत्स बताया. इस पर हो रही है राजनीति को लेकर उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वो पिछड़ों के बड़े नेता है. उन्हें वहां जाना चाहिए, लेकिन उन्होंने पिछड़ों के नाम पर वोट तो सबसे लिया और नौकरी सिर्फ अपने ही लोगों को दी.
अखिलेश यादव आज यानी सोमवार को देवरिया कांड में पीड़ित परिवारों से मिलने जा फतेहपुर गांव जा रहे हैं. इस बारे में जब मंत्री संजय निषाद से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को देवरिया जाना चाहिए, पिछड़ों के नेता हैं, बड़ी पार्टी के अध्यक्ष हैं, लेकिन एक बाद कहना चाहूंगा कि पिछड़ों के नाम पर उन्हें सबने वोट दिया था पर उन्होंने नौकरी सिर्फ अपने लोगों को ही दी. निषाद तो कहीं है नहीं, खोजने पर कोई चपरासी भी नहीं मिलता, दूसरी जातियों का हिस्सा लूटकर राजनीति करना ठीक नहीं है. सामाजिक न्याय की रिपोर्ट कहती है कि मिल्क मैन की संख्या ज्यादा है, लेखपाल कानूनगो से लेकर तहसीलदार तक जब वही रहेगा तो इस तरह की गलतियां निश्चित होंगी.
देवरिया कांड पर बोले संजय निषाद
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि देवरिया जैसी घटना नहीं होनी चाहिए. इसकी निंदा करते हैं. विभत्स घटना है, ऐसी घटना न हो, इसके लिए हम कदम उठाएंगे. मुख्यमंत्री को धन्यवाद कहूंगा, वो जांच करा रहे हैं, ये जांच का विषय है और जांच एक स्वतंत्र एजेंसी करती है. संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत जांच होती है. जांच में जो भी रिपोर्ट आती है, चाहे वो कितना ही बड़ा रसूखदार क्यों न हो उसके खिलाफ कार्रवाई होती है.
छह लोगों की हुई थी हत्या
बता दें कि दो अक्टूबर को देवरिया में जमीन विवाद के चलते प्रेमचंद यादव और सत्यप्रकाश दुबे के परिवार में विवाद हो गया था. जिसमें पहले पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव की हत्या हुई, जिसके बाद जवाब में उनके समर्थकों ने सत्यप्रकाश दुबे के पूरे परिवार को मौत के घाट उतार डाला था. इस हत्याकांड में प्रेमचंद यादव समेत छह लोगों की मौत हो गई थी.