यूपी की सियासतः निषाद वोट बैंक पर आरक्षण का स्टंट, डा. संजय निषाद ने कहा- निषाद समाज में ओवैसी न पैदा करे भाजपा
विधानसभा चुनाव नजदीक आते देख वोट बैंक की सियासत तेज हो गई है. संजय निषाद बीजेपी पर भड़के हैं.
Sanjay Nishad in Gorakhpur: यूपी में साल 2022 के विधानसभा चुनाव के पहले निषाद वोट बैंक को लेकर सियासत गरमा गई है. भाजपा के सहयोगी दल और आरक्षण को लेकर राजनीति चमकाने वाले निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय निषाद ने जहां 2022 के विधानसभा चुनाव में उप मुख्यमंत्री के चेहरा बनाने की भाजपा शीर्ष नेतृत्व से मांग की है. तो वहीं बिहार की नितीश सरकार में मंत्री और विकासशील इंडिया पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश साहनी के यूपी में निषाद आरक्षण को ही मुद्दा बनाकर यूपी में आना डा. संजय निषाद को रास नहीं आ रहा है. वे भाजपा को नसीहत देते हुए यूपी में निषाद समाज का आवैसी पैदा न करने की सलाह देते हैं.
खुद को कहते हैं पॉलिटिकल गॉड फादर
निर्बल शोषित इंडिया हमारा आमदल यानी निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय निषाद खुद को निषाद पार्टी का पॉलिटिकल गॉड फादर मानते हैं. वे कहते हैं कि ये उपाधि उनके समाज के लोगों ने दी है. उनका कहना है कि भाजपा के अलावा कौन उनके खिलाफ यूपी में निषाद समाज में ओवैसी पैदा कर सकता है. उन्होंने कहा कि भाजपा या कोई भी दल ऐसा करेगा, तो उसे 2022 के चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि वे चार विधायक हटा लें, तो बिहार की सरकार गिर जाएगी. हम आरक्षण का मुद्दा लेकर लड़ रहे हैं.
डा संजय निषाद ने कहा कि, हम सरकार नहीं गिरा सकते हैं. निषाद समाज ने विभीषण को पहचान लिया है. समाज गुमराह नहीं होने वाला है. वे उनके लिए जेल तक गए हैं. वे कहते हैं कि मुकेश साहनी बिहार सरकार में मंत्री हैं. वे पहले शीर्ष नेतृत्व के पास बिहार के मछुआ समाज के लोगों के हित के मुद्दों को लेकर जाएं. पांच राज्यों में चुनाव हैं. वे वहां पर आरक्षण के मुद्दे को लेकर जाएं. यूपी में आकर वे आरक्षण के मुद्दों की बात न करें. यहां पर निषाद समाज के लोग जानते हैं कि डा. संजय निषाद ने उनके आरक्षण की मांग को केन्द्र सरकार तक पहुंचाया है.
भाजपा टेस्ट ले रही है
भाजपा टेस्ट ले रही है कि निषाद में फूट पड़ जाएगी, तो आरक्षण नहीं देना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि वे किसी राजनीतिक स्टंट का शिकार न बनें. जिनकी केन्द्र और प्रदेश में सरकार है. वहीं ये सब कर रहे हैं. बंगाल में चले गए और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में चौथे नंबर पर पहुंच गए. ऐसा करेंगे, तो 2022 में भुगतना पड़ेगा. ऐसा न हो भाजपा के सलाहकार लोग उन्हें डुबो दें. उन्होंने कहा कि वे पहले हमारे साथ थे. हमारे छोटे भाई हैं. बिहार सरकार में मंत्री हैं. हम वोट बैंक की राजनीति करने के लिए नहीं आए हैं. हम यहां पर अपने समाज के लोगों को आरक्षण दिलाने के लिए राजनीति में आए हैं. वे इस अभियान में हमारा साथ दें. हम बिहार में उनका साथ देंगे. उन्हें बिहार में मुख्यमंत्री बनाने की पहल करेंगे.
डा. संजय निषाद ने कहा कि यूपी में 18 प्रतिशत निषाद वोट हैं. हमारे पास 160 सीटें है. इसके अलावा सभी सीटों पर हमारे पास 20 से 25 हजार वोट है. चुनाव में राजनीतिक कचरा आता रहता है. लेकिन, वो कूड़ादान में चला जाता है. वही हश्र उनका भी होगा. वे किसी के बहकावे में आकर राजनीतिक स्टंट का शिकार न हों. वे हमारे छोटे भाई हैं. हम दोनों मिलकर आपस में समझ लेंगे. कांग्रेस, सपा और बसपा ने हमारे साथ धोखा किया, उनका अंजाम क्या हुआ सभी जानते हैं. बीमार अस्पताल के लिए मरीज नहीं अच्छे डाक्टर की जरूरत है. जो डा. संजय निषाद हैं.
मुकेश साहनी को नसीहत
डा. संजय निषाद कहते हैं कि उन्हें आतंकी नेता कहा जाता है. उन्होंने और उनके परिवार ने रेल रोका है. सड़क पर आंदोलन कर आरक्षण की मांग को उठाया है. भाजपा अपनी पार्टी के लोगों के मुकदमें वापस ले रही है. वे हमारे भी केस वापस ले. बिहार सरकार के मंत्री मुकेश साहनी को वे राय देते हुए कहते हैं कि वे बिहार में निषाद समाज के मुद्दों को उठाएं. हम वहां पर उनका समर्थन करेंगे. उन्हें मुख्यमंत्री बनाएंगे. वे यहां पर हमें उप मुख्यमंत्री बनाने के लिए आगे आएं. किसी राजनीतिक स्टंट का शिकार न बनें.
क्या कहना मछुआ समाज का
गोरखपुर का मछुआ समाज भी निषाद पार्टी से काफी प्रभावित है. पुश्त दर पुश्त मछली मारने और मल्लाह का काम करने वाले लोग तो राजनीति के नाम से भी डरते हैं. उन्हें ये लगता है कि कहीं उनका रोजी-रोजगार न छिन जाए. डरते हुए मुछुआरा राकेश कहते हैं कि वे 20 साल से मछली मारने का काम कर रहे हैं. उन्हें राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने निषाद पार्टी का नाम सुना है. लेकिन, जो भी पार्टी अच्छा काम करेगी, वे उसी को वोट देंगे.
वहीं, गोरखपुर के डोमिनगढ़ के रहने वाले फूलचंद बताते हैं कि उनका 20 लोगों का परिवार है. वे 15 साल से मछली मारने का काम करते हैं. उनका कहना है कि उनके परिवार के लोग खेती करते हैं. उनकी 200 से 300 की आमदनी हो जाती है. निषाद पार्टी का उन्होंने नाम सुना है. वे कहते हैं कि जो भी निषाद समाज के बारे में सोचेगा उसे वोट देंगे. उन्होंने कहा कि वैसे तो राजनीति के लिए ही सारी राजनीतिक पार्टियां काम करती हैं. लेकिन, निषाद इधर उभरकर सामने आए हैं. आरक्षण के मुद्दे पर वे निषाद पार्टी और मुकेश साहनी की पार्टी के साथ हैं. जो हमारे हित की बात सोचेगा, उसके साथ जाएंगे.
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