Sanjeev Jeeva Murder Case: जीवा हत्याकांड की जांच कर रही पुलिस की अड़चनें कम होने का नाम नहीं ले रहीं. हत्याकांड के 6 दिन बीतने के बाद भी लखनऊ पुलिस अब तक न साजिशकर्ता का पता लगा सकी है. न ही आरोपी विजय के इतिहास का ब्यौरा जुटा सकी है. पुलिस को विजय के पास से बरामद मोबाइल फोन से कुछ उम्मीद जगी थी, लेकिन उसमें भी सिमकार्ड नहीं था. छानबीन शुरू हुई तो एक और रास्ते पर आकर पुलिस अटक गई.
दरअसल, विजय के पास से जो मोबाइल फोन मिला है, वो नेपाल से खरीदा गया था. इस मोबाइल फोन में विजय नेपाल का सिमकार्ड इस्तेमाल कर रहा था. चूंकि, मामला अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार का है, इसलिए पुलिस न मोबाइल फोन की डिटेल हासिल कर सकी है और न ही सिमकार्ड के बारे में कुछ पता लगा सकी है. इसके लिए यूपी पुलिस ने नेपाल सरकार से संपर्क किया है. यही नहीं पुलिस की एक टीम जल्द नेपाल जाने की तैयारी भी कर रही है.पुलिस सूत्रों का कहना है कि विदेशी सिमकार्ड होने के चलते ये पता नहीं लगाया जा सका है कि विजय से जीवा की हत्या के सिलसिले में किन-किन लोगों ने क्या-क्या बातचीत की.
दो महीने पहले छोड़ी नौकरी
पुलिस अफसरों को आशंका है कि विजय को नेपाल का मोबाइल फोन और सिमकार्ड दिलाने के पीछे साजिशकर्ताओं की ही कोई चाल है. पुलिस ने विजय के घरवालों से संपर्क किया तो उन्होंने भी नेपाल का ही नंबर दिया था. हालांकि, जो नंबर विजय के परिवारवालों ने पुलिस को दिया वो 11 मई से बंद चल रहा है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि विजय मुंबई में नौकरी कर रहा था, लेकिन करीब दो महीने पहले नौकरी छोड़कर जौनपुर स्थित अपने घर आ गया. पिछले महीने एक शादी समारोह में शामिल होने के बाद विजय नेपाल चला गया. वहां काठमांडू में उसने एक होटल में नौकरी शुरू कर दी. काठमांडू में ही विजय ने नया मोबाइल फोन और सिमकार्ड खरीदा था.
सूत्रों का ये भी कहना है कि विजय जिस होटल में काम कर रहा था वहीं उसे असलम मिला और उसने जीवा के मर्डर की सुपारी दी. ये भी कहा जा रहा है कि असलम ने विजय को एक लाख रुपए नगद भी दिए थे. हालांकि, अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. नेपाल में ही विजय को विदेशी रिवाल्वर करने की बात भी कही जा रही है. नेपाल से विजय बहराइच पहुंचा और वहां से रोडवेज बस से लखनऊ आकर जीवा की हत्या की वारदात को अंजाम दिया.
जीवा को था ये डर
पुलिस सूत्रों का कहना है कि जीवा के खिलाफ 2015 में गोमतीनगर के हुसड़िया चौराहे पर पिंटू की हत्या करने का केस दर्ज था और इसी मामले में उसकी पेशी हो रही थी. बीते कुछ दिनों से जीवा की लगातार पेशी चल रही थी. हत्या से 1 हफ्ते पहले जीवा लगातार तीन पेशी पर आया था. पुलिस सूत्रों के मुताबिक जीवा की हत्या की साजिश रचने वाले इस बात से वाकिफ थे. सूत्रों का यह भी कहना है कि जीवा को डर था कि उसकी हत्या कराई जा सकती है. कुख्यात जीवा के खिलाफ मुजफ्फरनगर में गैंगस्टर एक्ट का भी मामला चल रहा था जिस पर उसे पेशी के लिए तलब किया जा रहा था. हालांकि, मुजफ्फरनगर में अपनी मौत हत्या की आशंका से जीवा वहां नहीं जाना चाहता था.
लखनऊ के जिला जज को भेजा था पत्र
लखनऊ के जिला जज को उसने पत्र भेजकर मुजफ्फरनगर कोर्ट न भेजने की प्रार्थना भी की थी. उसने कहा था कि अगर विवेचक को कोई पूछताछ करनी है, तो लखनऊ जेल में आकर पूछताछ कर सकता है. अगर उसकी पेशी होनी है तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी कराई जा सकती है. जीवा को डर था कि अगर वो मुजफ्फरनगर गया तो उसका विरोधी सुशील मूंछ अपने बेटे टोनी के साथ मिलकर उसकी हत्या करा सकता है. उसे लगता था कि सुशील मूंछ और टोनी 5 लाख रुपए के इनामी बदमाश बदन सिंह बद्दो के संपर्क में हैं और उसकी मदद से हत्या करा सकते हैं. फिलहाल, पुलिस सभी पहलुओं पर जांच कर रही है. एसआईटी ने एडीसीपी पश्चिमी चिरंजीव नाथ सिन्हा समेत चार पुलिस अफसरों के बयान दर्ज किए हैं.
कोर्ट की सुरक्षा को लेकर भी पुलिस अफसरों से सवाल-जवाब किए गए हैं. उधर, जीवा हत्याकांड की सीबीआई जांच की याचिका हाईकोर्ट ने निस्तारित करते हुए कहा कि फिलहाल सीबीआई जांच की कोई जरूरत नहीं है. याची अगर एसआईटी की जांच से संतुष्ट नहीं है तो फिर से याचिका दायर कर सकता है. बुधवार को जीवा हत्याकांड के आरोपी विजय यादव की पुलिस कस्टडी रिमांड की अर्जी पर सुनवाई होगी. ये माना जा रहा है कि कोर्ट आरोपी विजय यादव की पुलिस कस्टडी रिमांड स्वीकृत कर सकती है जिसके बाद कई राज सामने आएंगे.