Prayagraj News: सरयू एक्सप्रेस ट्रेन में यूपी पुलिस की महिला कांस्टेबल के साथ हैवानियत का मुख्य आरोपी पुलिस एनकाउंटर में मारा गया है. दो अन्य आरोपियों को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है. इस घटना को लेकर योगी सरकार शुरू से ही बेहद गंभीर थी, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के दखल के बाद सरकारी अमले ने इस केस के वर्कआउट को अपनी नाक का सवाल बना लिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में न सिर्फ सुओ मोटो लेकर सुनवाई की, बल्कि रविवार की छुट्टी के दिन रात आठ बजे चीफ जस्टिस के आवास पर ही कोर्ट लगाकर सुनवाई भी की थी. हाईकोर्ट में लगातार हो रही सुनवाई के चलते ही रेलवे पुलिस और एसटीएफ ने न सिर्फ मामले का खुलासा कर दिया है, बल्कि घटना में शामिल अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचा दिया.  


यह सनसनीखेज वारदात बीते 30 अगस्त को प्रयागराज से अयोध्या के आगे मनकापुर स्टेशन तक जाने वाली सरयू एक्सप्रेस ट्रेन में अंजाम दी गई. महिला सिपाही पर न सिर्फ ट्रेन के कोच में ही जानलेवा हमला कर उसे कोमा की हालत में पंहुचा दिया गया था. बल्कि उसकी सरकारी वर्दी को भी फाड़ा गया. सोशल मीडिया पर खबर और तस्वीरें वायरल होने के बाद यह मामला तीन चार दिन में ही सुर्ख़ियों में आ गया. इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिकर दिवाकर ने सोशल मीडिया से जानकारी पाकर इस मामले में सुनवाई करने का फैसला किया. 


चीफ जस्टिस के घर रात में लगी अदालत


तीन सितम्बर को रविवार की छुट्टी के बावजूद रात नौ बजे उनके घर पर अदालत लगी. जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव भी इस सुनवाई में चीफ जस्टिस के साथ शामिल हुए. यूपी सरकार के गवर्नमेंट एडवोकेट एके संड, एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल और एडिशनल गवर्नमेंट एडवोकेट जेके उपाध्याय सुनवाई के दौरान सरकार का पक्ष रखने के लिए मौजूद थे. सुनवाई के वक़्त ही हाईकोर्ट के एडवोकेट राम कौशिक ने कोर्ट को इसी मामले से संबंधित  लेटर देकर उसे जनहित याचिका के तौर पर मंजूर करते हुए सुनवाई करने का अनुरोध किया था. 


कोर्ट ने जीआरपी लखनऊ एसपी को किया तलब


देर रात हुई सुनवाई में कोर्ट ने इस घटना को लेकर तल्ख़ टिप्पणी करते हुए अगले दिन जीआरपी लखनऊ की एसपी को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में तलब कर लिया. इसके साथ ही केंद्र सरकार-यूपी सरकार, रेलवे और महिला आयोग से भी जवाब तलब किया गया. चार सितम्बर को दोपहर बारह बजे के करीब वकीलों की हड़ताल के बावजूद अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई. जीआरपी के लखनऊ रेंज की एसपी पूजा कोर्ट में पेश हुईं. उन्होंने जांच के बारे में कोर्ट को जानकारी दी. वकील राम कौशिक ने पीड़ित महिला कांस्टेबल के साथ गैंगरेप की भी आशंका जताई और एफआईआर में धाराएं बढ़ाए जाने का आदेश जारी करने की अपील की. एसपी पूजा ने कोर्ट को जानकारी दी कि महिला कांस्टेबल की हालत बेहद गंभीर है. उन्हें इलाज के लिए लखनऊ के अस्पताल में रेफर किया गया है. फिलहाल वह बयान दे सकने की हालत में नहीं है. तबीयत में सुधार होने के बाद दर्ज बयान के आधार पर ही धाराएं बढ़ाई जा सकती हैं. 


मामले की जांच में जुटी यूपी एसटीएफ और जीआरपी


हाईकोर्ट ने इस मामले में तेरह सितम्बर को फिर से सुनवाई की. सुनवाई के दौरान ही गवर्नमेंट एडवोकेट एके संड ने कोर्ट को जानकारी दी कि इस मामले में खुलासे के लिए रेलवे पुलिस के साथ ही एसटीएफ को भी लगाया गया है. यूपी एसटीएफ की 26 सदस्यीय टीम सात सितम्बर से ही मामले की जांच में जुट गई. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार, रेलवे और यूपी सरकार की तरफ से भी उठाए गए क़दमों के बारे में जानकारी दी गई. अदालत ने यूपी सरकार की जांच पर संतुष्टि जताई और रेलवे को भी जांच में पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया. इस बीच एसटीएफ ने कुछ संदिग्धों की पहचान पर उन पर ईनाम भी घोषित कर दिया था. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए नौ अक्टूबर की तारीख तय की है. कहा जा सकता है कि अगर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई करते हुए सख्त रवैया न अपनाया होता तो शायद अपराधी आज अंजाम तक न पहुंचे  होते, क्योंकि इस मामले में न तो घटनास्थल का ठीक से पता था और न ही अंधेरे की वजह से सीसीटीवी कैमरों से कोई ख़ास मदद मिल पा रही थी. 


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