अयोध्याः उत्तर प्रदेश में गुरुवार को सरयू महोत्सव के अवसर पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की पावन नगरी अयोध्या में सरयू तट के किनारे आस्था और श्रद्धा का जनसैलाब उमड़ पड़ा. सरयू महोत्सव पर्व को मनाने के लिए सरयू तट के किनारे लाखों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे. इस पुण्य अवसर पर सरयू तट के किनारे आस्था और श्रद्धा में झूम रहे श्रद्धालुओं ने सरयू मैया का जयकारा लगाते हुए शाम को दिव्य सरयू की आरती की.
सरयू के जन्मोत्सव के मौके पर अयोध्या के सभी प्रमुख संत-महंत और विशिष्ट जन सरयू आरती घाट पर उपस्थित रहे और उन्होंने माता सरयू की 5100 बत्ती की आरती की है. ज्येष्ठ पूर्णिमा को सरयू का जन्म उत्सव मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान वशिष्ठ माता सरयू को पृथ्वी पर लेकर आए थे. इसलिए आज से पंडा पुरोहित समाज और अयोध्या का संत समाज बड़े धूमधाम से सरयू महोत्सव मनाता है.
श्रद्धालुओं ने की दिव्य सरयू की आरती
सरयू महोत्सव के मौके पर गुरुवार सुबह से ही पूजन का दौर शुरू हुआ. सर्वप्रथम सरयू माता की आरती उतारी गई फिर सवा क्विंटल दूध से माता सरयू का जलाभिषेक हुआ और माता सरयू को चुनरी चढ़ाई गई. शाम को माता सरयू की 5100 बत्ती की आरती उतारी गई. ऐसा नजारा सभी घाटों पर मौजूद रहा. हर घाट को सजाया और संवारा गया है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु सरयू के तट पर मौजूद रहे और उन्होंने मां सरयू की आरती और उनका दर्शन पूजन किया.
लाखों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु
इसी कड़ी में राम नगरी अयोध्या के सरयू तट के किनारे लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. विगत 2 वर्षों से सरयू महोत्सव संक्षिप्त रूप में मनाया जा रहा है. कोविड-19 की वजह से इस महोत्सव को भी हल्का कर दिया गया है. जिसका मलाल संतो को है. संत बड़े ही धूमधाम से इस महापर्व को मनाते थे.
सरयू मां की नित्य आरती कराने वाले महंत शशीकांत दास ने कहा कि सरयू महोत्सव का दिन अयोध्या के लिए महत्वपूर्ण है. आज माता सरयू का जन्मोत्सव है, अयोध्या की पहचान माता सरयू से है. कोविड-19 के वजह से सरयू मां के जन्मोत्सव में विघ्न उत्पन्न हुआ है. विगत 2 वर्षों से सरयू जयंती महोत्सव संक्षिप्त में मनाया जा रहा है.
अयोध्या के पंडा पुरोहित समाज के लोगों ने कहा कि आज के दिन का बड़ा महत्व है. ज्येष्ठ की पूर्णिमा को मां सरयू का जन्मोत्सव मनाया जाता है. 12 महीने में सबसे बड़ा महीना यही माना गया है और इस महीने में ही गंगा दशहरा को मां गंगा का जन्म उत्सव होता है.