Barabanki Flood: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में वैसे घाघरा (सरयू) नदी जिले की तीन तहसील रामनगर, रामसनेघाट और सिरौलीगौसपुर के सैकड़ों गांव को बाढ़ आने पर प्रभावित करती है, लेकिन कुछ गांव ऐसे हैं, जहां घाघरा नदी का प्रकोप ऐसा है कि, वहां आज भी लोग पिछले लंबे समय से नदी के बांध पर झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं. पूरा गांव पानी पानी रहता है. ये गांव बाराबंकी जनपद से दूर गोंडा और बहराइच जनपद के पास पड़ता है. यहां जाने के लिए आपको गोंडा और बहराइच जनपद से गुजरना पड़ेगा, उसके बाद ही बाराबंकी जिले का मांझारायपुर गांव आपको दिखेगा.
सरयू नदी का जब जलस्तर बढ़ता है तो सबसे पहले इस गांव में पानी प्रवेश करता है. हालांकि, इस बार सरयू नदी का जलस्तर घटता बढ़ता रहा है, लेकिन यहां के लोगों के लिए ये आम बात है ,कभी गांव में पानी ही पानी भरा रहता है, तो कभी सूखा इस बार अभी घाघरा नदी ने अपना विकराल रूप नहीं दिखाया है.
एबीपी गंगा संवाददाता ने जानी हकीकत
मांझारायपुर गांव पहुंचने के लिए एबीपी गंगा संवाददाता सतीश कश्यप बाराबंकी जिले से लखनऊ गोंडा बहराइच नेशनल हाईवे पर सरयू नदी के ऊपर बने संजय सेतु पुल को पार कर बहराइच और गोंडा सीमा से होते हुए बाराबंकी जिले के उसी मांझारायपुर गांव पहुंचे. वहां के लोगों की हकीकत जानी. गांव के प्रहलाद का कहना है कि, 80 मीटर रिंग बांध बन जाये तो गांव में पानी न आये. गांव के साधू का कहना है कि, पूरी जिंदगी बाढ़ झेलते हुए बीत गयी. बच्चों की पढ़ाई नहीं हुई. उन्होंने कहा कि, स्कूल दूर है, बच्चे अब वहां पढ़ने जाते हैं.
कोई सुनवाई नहीं
वहीं, गांव की महिलाओं से जब बात हुई तो उन्होंने कहा कि, जब गांव में काफी बाढ़ आती है तो सरकारी गल्ला पानी कभी कभी मिल जाता है. इस बार वो भी नहीं मिला. गांव की सरस्वती का कहना है कि, कोई भी सुविधा नहीं मिल पाती, आज भी विकास से ये गांव काफी दूर है. गांव में दो हजार परिवार हैं, जिनकी सुनने वाला कोई नहीं है.
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