Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण की वोटिंग एक जून शनिवार को होनी है. जिसके बाद सबकी नजरें 4 जून पर टिकी है जब वोटों की गिनती होगी और नतीजे सबके सामने आएंगे. इस बीच चुनाव को लेकर सट्टा बाजार भी गरम हैं. सट्टा बाजार में NDA और INDIA को लेकर जो चल रहा है, उसके आंकड़े आपको चौंका सकते हैं. 


मुंबई के टॉप बुकी ने यूपी चुनाव को लेकर चल रहे सट्टे पर इंडिया टुडे से बात की, जिसमें बड़ा दावा किया है. बकी के मुताबिक चुनाव के शुरुआती चरण में बीजेपी काफी आगे चल रही थी लेकिन बाद में इसमें गिरावट देखी गई. तीन चरण की वोटिंग के बाद लोगों के रुख में बदलाव आया. लेकिन, यूपी में अब भी बीजेपी विपक्षी दलों के मुकाबले आगे हैं. 


यूपी की इन सीटों पर भविष्यवाणी
सट्टा बाजार फिलहाल उत्तर प्रदेश में भाजपा के नेतृत्व वाले NDA को 64 से 66 सीटों पर जीतने की भविष्यवाणी कर रहा है. इस हिसाब से एनडीए 2019 के प्रदर्शन को फिर से दोहरा सकती है. यही नहीं कई सीटों को लेकर भी सट्टा लग रहा है. इनमें अमेठी, रायबरेली, मैनपुरी और कन्नौज जैसी सीटें शामिल हैं. 


सट्टा बाजार के अनुमान के मुताबिक, अमेठी सीट पर एक बार फिर से बीजेपी के खाते में आ सकती है, यहां से भाजपा की स्मृति ईरानी को जीत मिल सकती है. वहीं रायबरेली सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहेगा. इस सीट से राहुल गांधी जीत सकते हैं और मैनपुरी में एक बार फिर डिंपल यादव को चुनाव जीत सकती है. 


एनडीए को इतनी सीटें मिलने का दावा
इसके अलावा लखनऊ में भाजपा के राजनाथ सिंह ढाई लाख के वोटों के अंतर से चुनाव जीतने का अनुमान लगाया जा रहा है. तो वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कन्नौज लोकसभा सीट और अरुण गोविल मेरठ सीट से चुनाव जीत सकते हैं. मुंबई के टॉप बुकी के मुताबिक, वोटिंग से पहले सट्टा बाजार देश में बीजेपी को 315 से 325 सीटें और कांग्रेस को 45 से 55 सीटें मिलने का अनुमान लगा रहा था.


हालांकि तीन चरण के मतदान के बाद भाजपा के लिए गिरावट का रुझान रहा. उस वक्त भाजपा को 270 से 280 सीटें मिलती दिख रही थीं. जबकि कांग्रेस 70 से 80 सीटों की ओर अच्छी बढ़त दिखा रही थी. अब 6 चरणों की वोटिंग के बाद एक बार फिर हालात बदल गए हैं. सट्टा बाजार फिलहाल भाजपा के 295 से 305 सीटें जीतने के पक्ष में है. जबकि कांग्रेस के लिए बाजार का पूर्वानुमान 55 से 65 सीटों का है.


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disclaimer - सट्टा बाजार का आकलन इससे जुड़े लोगों की दिलचस्पी के आधार पर होता है. इसके आंकड़े किसी सर्वे या पोल से नहीं लिए गए होते हैं. ऐसे इस तरह के आकलन और नतीजों के सही होने के आसार बहुत कम ही होते हैं.