जानिए क्या होती है शनि और केतु की युति और उसके प्रभाव
एबीपी गंगा के एस्ट्रो शो समय चक्र में पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने शनि और केतु की युति और उससे होने वाले प्रभावों के बारे में बताया। उनके मुताबिक यह एक अंतरिक्ष में बड़ी घटना हो रही है।
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एबीपी गंगा के एस्ट्रो शो समय चक्र में पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने शनि और केतु की युति और उससे होने वाले प्रभावों के बारे में बताया। उनके मुताबिक यह एक अंतरिक्ष में बड़ी घटना हो रही है। यह अंशात्मक युति है यानि शनि और केतु एक ही अंश पर है। शनि कर्म के कारक हैं, तभी कर्माधिपति हैं। यहीं आजीविका के कारक है। जनमानस के कारक है यही लोकतंत्र का कारक है, यही श्रमिकों का भी कारक है। केतु मोक्ष का कारक है, केतु ध्वजा है, केतु ऊंचाई है, केतु शिखा है।
सबसे पहले मोक्ष को समझते हैं और थोड़ा खुले दिमाग से समझते हैं। देखिए मोक्ष हर व्यक्ति को नहीं मिलता है। मोक्ष पाने के लिए जीवन का उद्देश्य लक्ष्य पूर्ण करना होता है यानि पाप और पुण्य या सभी तरह के कर्म बंधनों से मुक्त होना है। अब इस पारलौकिक बात को लौकिक रूप से समझते हैं। जैसे आप कहीं जॉब कर रहे हैं और काफी लंबे समय से कर रहे हैं और आपका रिटायरमेंट आ जाता है तो इसका अर्थ है कि आपको ऑफिस से मोक्ष प्राप्त हो गया। यदि आपको कोई रोग है और उसके लिए सर्जरी होती है और वह नि काल दिया जाए तो अब उस समस्या से मोक्ष हो गया है।
किसी भी कार्य का कंप्लीट होना भी मोक्ष ही है, इसका अर्थ यह है कि केतु चली आ रही समस्या को से मुक्ति दिलाता है यह मुक्ति दिलाना अच्छा और बुरा दोनों ही हो सकता है यानि पेनफुल हो सकता है। शाश्वत बात होती है।
शनि एक कर्म प्रधान ग्रह और केतु मोक्ष प्रधान है और दोनों के गुण आपस में बहुत विरोधी हैं और दोनों ही एक ही चेयर में बैठे हैं। यानि एक साथ हैं, लेकिन यह चीज बहुत ध्यान रखने की है यह किस चेयर पर बैठे हैं। यह दोनों ही एक साथ धनु राशि में बैठे हैं। इसलिए अच्छे परिणाम उन लोगों को परिणाम होंगे जो लोग अपना कार्य पूरी निष्ठा, ईमानदारी और धर्मसंमत होकर करते हैं।
देखें वीडियोयह योग विरक्ति दिलाना वाला होता है, इसलिए इसको संन्यास योग भी कहते हैं। आपने अक्सर सुना होगा कि लोगों कहते हैं कि नौकरी में मन नहीं लग रहा है और नौकरी छोड़ कर संस्यास ले लें। कोई कहता है कि हरिद्वार में आश्रम बनवा लें लेकिन यहां एक बात समझनी है। यह योग स्वयं का हित त्यागते हुए परमार्थी कार्यों का सुख प्राप्त करने में काम करता है। जैसे डॉक्टर, समाजसेवी, चिन्तक, वैज्ञानिक, दार्शनिक, शिक्षक, धर्मगुरु के गुणों को देने वाला होता है।
यदि आपके बच्चे की कुंडली में है या इस समय जो बच्चे जन्म लेंगे तो उनकी कुंडली मे यह योग होगा तो वह भविष्य में जनसेवा संबंधित कार्यों मे अधिक रुचि लेने वाले होंगे और यदि इनसे संबंधित करियर हो गया तो कहने ही क्या। एक बात के लिए आपको अलर्ट करना चाहूंगा कि यदि आपके ऑफिस में कोई दिक्कते चल रही हैं या कोई समस्या चल रही है तो उससे भागिये नहीं बल्किल चुनौतियों का धैर्य के साध समना करते हुए उन्हें पराजित करिए। वरना वह आपको पलायनवादी बना सकती हैं। जो भी हो, करियर में ईमनारी रखें, अन्यथा कलंक लग सकता है। अब जानते हैं उपाय के बारे में। उपाय में आप सेवा भाव अपनाएं। गरीबों की सेवा करें, संकट में कोई हो उसकी मदद करें। दिव्यांग की सेवा करें।
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