रूद्रपुर, एबीपी गंगा। आने वाले समय में पूरे देश मे जल संकट की समस्या हो सकती है। अगर इस समस्या को अभी गंभीरता से नहीं लिया गया तो ये आने वाले कुछ सालों बाद जल संकट की समस्या बहुत बड़ी समस्या के रूप में सामने आयेगी। इस दशक में पूरी मानवता कई प्राकृतिक विपदाओं से जूझ रही है। कभी बर्फबारी, कभी बाढ़, कभी समुद्री तूफान, कभी भूकंप, कभी महामारी तो कभी जल संकट से पूरी मानवता त्रस्त है। बढ़ती आबादी के सामने सबसे बड़े संकट के रूप में जल की कमी ही उभर रही है। पर्यावरण के साथ निरंतर खिलवाड़ का यह नतीजा है कि आज भारत की पूरी जनसंख्या के लिये पर्याप्त स्वच्छ जल के संकट से पूरा विश्व गुजर रहा है।
भारत में उपलब्ध जल संसाधन की दृष्टि से आकलन करें तो यह बात सामने आती है कि 2001 में प्रति व्यक्ति 1800 क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध था जो 2050 में घटकर 1000 क्यूबिक मीटर हो जाएगा। भारत इस समय कृषि में प्रयोग के साथ साथ पेयजल के गंभीर संकट से गुजर रहा है और यह संकट वैश्विक स्तर पर साफ दिख रहा है। हर विकसित और विकासशील देश इस संकट को दूर करने के लिये हर उपाय पर विचार कर रहा है। इस संकट के निवारण हेतु हमें तीन स्तरों पर विचार करना होगा। पहला यह कि अब तक हम जल का उपयोग किस तरह से करते थे? दूसरा भविष्य में कैसे करना है? जल संरक्षण हेतु क्या कदम उठाए? पूरी स्थिति पर नजर डालें तो यह तस्वीर उभरती है कि अभी तक हम जल का उपयोग अनुशासित ढंग से नहीं करते थे और जरूरत से ज्यादा जल का नुकसान करते थे।
संरक्षण की जागरूकता रहने से इस स्थिति में जल संरक्षण हेतु हमें कई कदम उठाने होंगे इसके लिए ऊधमसिंहनगर जिला मुख्यालय के समाजसेवी और एलएससी ग्रुप के सीएमडी शिवकुमार अग्रवाल ने काम भी करना शुरू कर दिया है। उनके द्वारा पानी का रिसाइक्लिंग प्लांट लगाया गया है जिससे गंदे पानी को रिसाईक्लिंग करके फिर से इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इसके लिये उन्हें जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जल संरक्षण व प्रबंधन के लिए उत्कृष्ट प्रयासों के लिए रुद्रपुर के एलएससी इंफ्राटेक लिमिटेड के सीएमडी और डायरेक्टर को सम्मानित भी किया जा चुका है।
देशभर में सर्वश्रेष्ठ उद्योग (मध्यम व लघु) श्रेणी में राष्ट्रीय जल पुरस्कार में एलएससी ने दूसरा स्थान हासिल किया था। केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने औद्योगिक जल संरक्षण के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार के लिए सर्वे किया था। इसमें जल संरक्षण के लिए किये जाने वाले प्रयासों पर काम को देखा जाना था। प्राधिकरण की टीम ने सभी इकाइयों में अपनाए जाने वाले उपायों का निरीक्षण किया था। टीम ने एलएससी इंफ्राटेक को दूसरे पुरस्कार के लिए चुना। और 25 फरवरी 2019 को नई दिल्ली में केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्रालय की ओर से आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कंपनी के सीएमडी शिवकुमार अग्रवाल और डायरेक्टर सौरभ अग्रवाल को डेढ़ लाख रुपये की पुरस्कार राशि का चेक व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया था। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जल संरक्षण के लिए किये जाने वाले कामों की प्रशंसा की थी।
एलएससी के डायरेक्टर सौरभ अग्रवाल ने कहा कि मानवता की सेवा व भूजल संरक्षण की मौलिक जिम्मेदारी को समझते हुए कंपनी उत्तराखंड में कई जगह अपने खर्चे पर व राजस्थान स्थित अपनी सभी इकाइयों में पानी को बचाने के लिए 15 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय हित में स्वेच्छा से आई रेट थिकनर प्लांट लगाए हैं। उन्होंने कहा कि उनके सिर्फ नेचुरल रिर्सोस को बचाने के लिए मन में विचार आया कि किसी तरह पानी की बर्बादी को रोका जाए। प्लांट में प्रोसेस के बाद निकलने वाले पानी को रिसाइकिल कर फिर से उपयोग में लाया जाता है। इसमें डिस्चार्ज की मात्रा नगण्य होती है। प्रोसेस के पानी को नदी नालों में जाने से रोका जाता है। इससे पानी की बचत होती है। साथ ही पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।