इस मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ने वाले दूध से बन रही प्रसाद की खीर, जल संरक्षण का भी पढ़ाया जा रहा पाठ
लखनऊ के डालीगंज में स्थित मनकामेश्वर मंदिर में कभी भगवान लक्ष्मण ने पूजा -अर्चना की थी। आज इस मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ने वाले दूध से प्रसाद की खीर बनाई जा रही है। साथ ही, जल संरक्षण का भी पाठ पढ़ाया जा रहा है।
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लखनऊ, शैलेश अरोड़ा। इन दिनों भोलेनाथ का माह सावन चल रहा है और आज यानी 22 जुलाई को सावन का पहला सोमवार है। आज के दिन शिवालयों में शिवभक्तों की लंबी-लंबी कतारें लगी हैं, तो वहीं चारों दिशाओं से भोलेबाबा के जयकारे सुनाई दे रहे हैं। सड़कें केरसिया रंग से पटी हुई हैं, जहां बम भोले के जयकारों के साथ कांवड़िएं शिवशंकर की शरण में पहुंच रहे हैं। सनातन धर्म में सावन और सावन के सोमवार का खासा महत्व होता है और प्रत्येक शिवमंदिरों व शिवालयों का भी अपना महत्व व उसके पीछे कोई न कोई पौराणिक कहानी छिपी होती है। एबीपी गंगा के सावन स्पेशल में आज हम आपको उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ऐसे ही एक पैराणिक शिवमंदिर के दर्शन कराने जा रहे हैं और आपको उसका महत्व भी बताएंगे।
भगवान लक्ष्मण भी कर चुके हैं यहां पूजा
ये प्राचीन शिवमंदिर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के डालीगंज में स्थित है, इसका नाम मनकामेश्वर मंदिर हैं। सावन के पहले सोमवार के अवसर पर आधी रात से ही मनकामेश्वर मंदिर में भक्तों की लंबी कतारें लग गईं। मंदिर की महंत देव्या गिरी की मानें तो यह मंदिर रामायण काल के समय का है। भगवान लक्ष्मण भी इस मंदिर में आकर पूजा-अर्चना कर चुके हैं। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने आते हैं, खासकर सावन के माह में। ऐसा अनुमान है कि सावन के सोमवार यानी इस एक दिन में करीब 50,000 भक्त यहां दर्शन करने पहुंचते हैं।
इस वजह से सावन के महीने में यात्रा से बचें
महंत दिव्या गिरी कहती हैं कि भगवान विष्णु जब चार महीने शयन में होते हैं, तो इन दिनों भगवान भोलेनाथ पालनकर्ता रहते हैं। सावन के एक माह में भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से साल भर की पूजा का फल मिलता है। इन दिनों लोगों को यात्रा करने से बचना चाहिए, क्योंकि शरीर की इम्यूनिटी कम रहती है। ऐसे में बीमार होने की संभावना भी बनी रहती है। सावन के महीने में अधिक से अधिक धार्मिक ग्रंथों को पढ़ना चाहिए। शिवलिंग पर चढ़ने वाले दूध से बन रही प्रसाद की खीर
महंत देव्या गिरी ने बताया कि शिवलिंग पर चढ़ने वाले दूध के इस्तेमाल को लेकर अच्छी पहल की जा रही है। शिवलिंग पर चढ़ने वाले दूध का खीर बनाने में इस्तेमाल किया जा रहा है, जो प्रसाद में बंट रही है। उन्होंने बताया कि शिवलिंग पर 150 से 250 लीटर तक दूध से अभिषेक होता है। ये दूध नालियों में बर्बाद न हो, इसके लिए इसे खीर बनाने में इस्तेमाल किया जा रहा है।
जल संरक्षण का भी पढ़ाया जा रहा पाठ
इतना ही नहीं, मंदिर में आने वालों को जल संरक्षण का पाठ भी पढ़ाया जा रहा है। मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ने वाले जल का भी संरक्षण करने का प्रयास हो रहा है। हालांकि, महंत का कहना है कि ये और भी बेहतर तरीके से हो सकता था, अगर जिला प्रशासन से सहयोग मिलता। उन्होंने बताया की मंदिर में एक पुराना कुआं है। वाटर हार्वेस्टिंग के लिए इसकी सफाई कराई गई है और प्रशासन से कुछ सहयोग मांगा था, लेकिन वो नहीं मिला।
जिला प्रशासन की अनदेखी से नाराज मंदिर प्रशासन
मंदिर प्रशासन इस बार सावन के सोमवार की तैयारियों में सहयोग न मिलने की वजह से जिला प्रशासन से काफी नाराज है। महंत देव्या गिरी ने बताया कि इस बार सावन के सोमवार को लेकर जिला प्रशासन ने उचित व्यवस्था नहीं की। हर साल की तरह इस बार मंदिर में लाइटिंग की व्यवस्था भी प्रशासन ने नहीं कराई। हर साल सावन के सोमवार की तैयारियों को लेकर एसएसपी, मेयर समेत अन्य अधिकारी मंदिर प्रशासन साथ बैठक करते थे, वो भी नहीं हुईं। मंदिर में आने के लिए तो दो कतारें लगाई गई हैं, लेकिन निकासी के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई, क्योंकि मंदिर के बाहर अतिक्रमण है। अगर भगदड़ मच जाए तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है। महंत ने बताया की एक दिन मेयर आई भी तो, बस दर्शन करके चली गई। CM योगी जी को अपने अधिकारियों को सचेत करना चाहिए।
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