Sawan Somvar: 72 साल बाद बना सावन पर खास संयोग, भगवान भोलेनाथ की ऐसे करें पूजा-आराधना
Sawan 2024: सावन महीने में 72 साल बाद खास संयोग बना है, सावन महीने की शुरुआत सोमवार के दिन से हुई है. प्रयागराज में पहले सावन सोमवार के दिन शिवालयों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा.
Prayagraj News: भगवान भोलेनाथ के सबसे प्रिय महीना सावन की आज से शुरुआत हो गई है. लंबे अरसे के बाद यह संयोग बना है कि इस बार के सावन महीने की शुरुआत सोमवार के दिन से हुई है. सावन के पहले दिन आज संगम नगरी प्रयागराज में भी भगवान भोलेनाथ के मंदिरों में शिव भक्त श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी हुई है. श्रद्धालु दर्शन और पूजा अर्चना कर शिवलिंगों का जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक कर रहे हैं. इस मौके पर तमाम कांवड़िए संगम नगरी के अलग-अलग शिव मंदिरों से जल लेकर द्वादश ज्योतिर्लिंग की धार्मिक यात्रा पर भी निकल रहे हैं. प्रयागराज में सावन के पहले दिन ही पूरा वातावरण शिवमय हो गया है.
इस बार सावन के महीने में शुक्र आदित्य योग, बुद्ध आदित्य योग, नव पंचम योग, गजकेसरी योग, कुबेर योग और शशि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है. इन संयोगों के चलते इस बार के सावन महीने का महत्व कई गुना बढ़ गया है. इसके अलावा इस बार के सावन में पांच सोमवार और दो प्रदोष भी रहे हैं. इस बार नाग पंचमी 9 अगस्त को पड़ेगी जबकि सावन महीने का समापन 19 अगस्त को रक्षाबंधन और श्रावणी पर्व के साथ होगा. जानकारों के मुताबिक इस तरह के खास संयोग 72 सालों बाद पड़ रहे हैं.
शिवालयों में उमड़ा आस्था का सैलाब
सावन महीने के पहले दिन संगम नगरी प्रयागराज के शिव मंदिरों में भोलेनाथ के भक्तों का जमावड़ा लगा हुआ है. यमुना तट स्थित प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर में तो शिव भक्तों की इतनी भीड़ उमड़ी हुई है. मंदिर के दोनों तरफ करीब आधा किलोमीटर तक भक्तों की लाइन लगी हुई है. भोलेनाथ के भक्त यहां भगवान शिव के दर्शन कर उनकी पूजा अर्चना कर रहे हैं. उन्हें गंगाजल - बेलपत्र, दूध - शहद और जल चढ़ा रहे हैं. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सावन के महीने में यहां जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसके साथ ही सोमेश्वर महादेव मंदिर, पडिला महादेव मंदिर, नागवासुकी मंदिर, तक्षक तीर्थ, शिवकोटि मंदिर और दशाश्वमेध मंदिर समेत तमाम दूसरे शिवालयों में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है.
मनकामेश्वर मंदिर के बारे में मान्यता यह है कि त्रेता युग में यहां भगवान राम ने काम को भस्म कर पूजा अर्चना की थी, इसी वजह से इसे कामेश्वर तीर्थ के रूप में भी माना जाता है. मंदिर के महंत ब्रह्मचारी श्री धरानंद के मुताबिक धार्मिक महत्व की वजह से ही यहां सावन महीने के अलावा भी पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है. सावन के पहले सोमवार पर प्रयागराज के शिव मंदिरों पर सुरक्षा के भी बेहद कड़े इंतजाम किए गए हैं. पुलिस और पीएसी के साथ ही पैरामिलिट्री फोर्स की भी तैनाती की गई है. इसके अलावा ज्यादातर मंदिरों की निगरानी सीसीटीवी कैमरों के जरिए भी की जा रही है. हाइटेक युग में जो श्रद्धालु मंदिरों में नहीं पहुंच पा रहे हैं, उनके लिए वर्चुअल दर्शन और रुद्राभिषेक की भी व्यवस्था तमाम मंदिरों में की गई है.
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