लखनऊ. आज से सावन का पवित्र महीना शुरु हो रहा है. भगवान भोलेनाथ को श्रावण का महीना बेहद प्रिय है, इसलिए इस खास माह में भगवान शिव के भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. विशेष बात ये है कि सोमवार का दिन शिव भक्ति के लिये विशेष माना जाता है और शुभ संयोग है कि सावन का शुभ महीना सोमवार से ही शुरु हो रहा है. इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन महीने में पड़ने वाले पहले सोमवार को भगवान शिव की पूजा अर्चना करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. इस महीने में शिव भक्त अपनी कांवड़ यात्रा भी शुरू करते हैं. इस बार सावन माह में शुभ संयोग बन रहा है. हालांकि कोरोना महामारी की वजह से कांवड़ यात्रा इस बार स्थगित कर दी गई है.


माता सती की कथा


इस महीने में लोग सुखी विवाहित जीवन की कामना के लिए व्रत रखते हैं. इसके साथ ही महिलाएं अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए भी इस महीने व्रत रखती हैं. सावन का महत्व बताती ये कथा ये बताती है कि कुंवारी कन्या को योग्य वर प्राप्ति के लिये क्या करना चाहिये? इसके महत्व को समझते हुए माता सती ने जब दूसरे जन्म में पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया तो पुनः माहदेव को पति रूप में पाने के लिए पूरे श्रावण माह व्रत किया और शिव को पति रूप में पुनः प्राप्त किया. कुवांरी कन्याओं को इन दिनों व्रत करने से मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियों का सुहाग सुखी और समृद्धशाली रहता है.


सुहागिन महिलाएं ऐसे करें शिव पूजा
इस वर्ष श्रावण मास का पहला दिन सोमवार को सूर्य के नक्षत्र उत्तराषाढ़ में पड़ने से और भी शुभ हो गया है. सुहागिन महिलाओं को इस दिन मां पार्वती को श्रृंगार हेतु मेहंदी चढ़ानी चाहिए. पुरुषों को पंचामृत, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान कराकर बेलपत्र पर अष्टगंध, कुमकुम, या चन्दन से राम-राम लिखकर ऊं नमः शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नमः शिवाय' कहते हुए शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए. इसके अतिरिक्त भांग, धतूरा बेलपत्र, मंदार पुष्प तथा गंगाजल भी अर्पित हुए 'काल हरो हर, कष्ट हरो हर, दुःख हरो, दारिद्र्य हरो, नमामि शंकर भजामि शंकर शंकर शंभो तव शरणं. मंत्र से प्रार्थना करनी चाहिए.