बरेली में सरकारी योजना में हुआ घोटाला, अपात्र महिलाओं को फर्जी तरीके से बांटे करोड़ों रुपये
यूपी के बरेली में प्रधानमंत्री मातृ योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है. यहां अफसरों की मिलीभगत से कई फर्जी लाभार्थियों को सरकारी योजना का लाभ दे दिया गया.
बरेली: बरेली में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है. विभाग ने अपात्रों को पात्र बनाकर 1.15 करोड़ ( एक करोड़ 15 लाख ) का घोटाला कर दिया है. मामला प्रकाश में आने के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है. स्वास्थ्य विभाग के वो अधिकारी जिनकी इस मामले में जवाबदेही तय है, वो सामने आने से बच रहे हैं. इतना ही नहीं अधिकारी पूरे मामले में अब लीपापोती करते नजर आ रहे हैं.
अफसरों ने की बंदरबांट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर देश में गर्भवती महिलाओं के लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना नाम से महत्वकांक्षी योजना को चलाया जा रहा है. लेकिन सरकार के मातहत ही अब इस योजना में ही बंदरबांट कर रहे हैं. दरअसल, बरेली की मीरगंज तहसील और बिथरी चैनपुर में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है. विभाग की मिली भगत से एक दो नहीं बल्कि 2140 अपात्र महिलाओं को इसका पात्र बनाकर 1.15 करोड़ का घोटाला हुआ है. लेकिन मामला प्रकाश में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारी इस मामले में बचते दिखाई दे रहे हैं. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के नोडल अधिकारी एसीएमओ डॉ आर एन गिरी से जब इस मामले में बात की गई तो पहले तो वो भड़क गए , लेकिन जब उनसे पूछा गया तो बमुश्किल इतना कहा कि जांच कर रहे हैं.
इस तरह किया फर्जीवाड़ा
आपको बता दें कि, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अंतर्गत पहली बार गर्भवती व स्तनपान कराने वाली माताओं को उचित खान-पान व पोषण के लिए पांच हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है. योजना में गर्भवती महिलाएं भले ही अमीर हों या गरीब, सभी आर्थिक मदद पाने की हकदार होती हैं. लेकिन मीरगंज में योजना के पैसे को हजम करने के लिए अपात्र को पात्र बना दिया. पड़ोसियों को पति पत्नी बना दिया, कुंवारी लड़की को गर्भवती बता दिया. इतना ही नहीं, अपनी कारस्तानी को छुपाने के लिए फॉर्म में काले पैन से सीरियल नंबर ही छिपा दिए. इतना ही नहीं सैकड़ों अपात्र लोगों के फार्म गायब भी कर दिए गए. ये सिर्फ एक तहसील के कारनामे हैं.
अफसर बोलने को तैयार नहीं
अगर जांच की जाय तो स्वास्थ्य महकमे के कई बड़े अधिकारी भी इस मामले में लिप्त नजर आएंगे. फिलहाल विभाग जांच की बात कर रहा है, लेकिन कौन और क्या जांच चल रही है इस बारे कोई बोलने को तैयार नहीं है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एस के गर्ग तो जानकारी न होने की बात कहकर अपना पलड़ा झाड़ते दिखाई दे रहे हैं, लेकिन अगर निष्पक्ष जांच होगी तो कई चेहरे बेनकाब हो जाएंगे.
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