कानपुर. यूपी सरकार की एक और योजना फर्जीवाड़े की भेंट चढ़ती दिख रही है. कानपुर शहर में यूपी सरकार की गरीबों की शादी के लिए दिए जाने वाली अनुदान योजना में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. शादी अनुदान प्राप्त करने के लिए लेखपाल-बाबुओं की मिलीभगत का खुलासा भी जांच में हुआ है. सदर तहसील में प्राप्त अनुदान के आवेदनों में घपला पता लगने के बाद एक दंपत्ति समेत दो लेखपालों पर एफआईआर करा दी गई है. साथ ही डीएम ने इस मामले में तीन सदस्यीय कमेटी गठित करते हुए दो साल में बांटे गए अनुदानों की विस्तृत जांच के आदेश भी दे दिए हैं. कानपुर के जिलाधिकारी ने जांच के आदेश देते हुए साल 2019-20 और साल 2020-21 के कुल 1700 से अधिक मामलों की जांच के लिए समिति गठित कर दी है.
दो लेखपाल निलंबित
दरअसल, समाज कल्याण विभाग की शादी अनुदान योजना में रैंडम आधार पर जांच कराई गई थी. जांच के दौरान कुछ आवेदन फर्जी पाए गए. जो पात्र नहीं थे उन्हें भी शादी का अनुदान दे दिया गया. तहसील सदर के दो लेखपालों ने फर्जी रिपोर्ट लगाई गई थी जिसके बाद एसडीएम सदर ने उन्हें निलंबित कर दिया है. इस प्रकरण का संज्ञान लेते हुए डीएम ने समिति गठित की है, जिसमें एडीएम सिविल सप्लाई की अध्यक्षता में शादी अनुदान के मामलों की जांच करेगी.
करीब 75 फीसदी आवेदन फर्जी
सूत्रों की मानें तो पिछले दो साल में करीब 4 करोड़ रुपये का दिया गया शादी अनुदान दिया गया. समाज कल्याण विभाग ने पिछले दो साल में 17 सौ से अधिक लोगों को लेखपाल की जांच रिपोर्ट सही मानते हुए करीब 4 करोड़ रुपये शादी अनुदान दे दिया था. अब सीडीओ कानपुर नगर की जांच में 75 फीसदी आवेदन फर्जी पाए गए हैं. वहीं, विभाग अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ता दिख रहा है. विभाग ने पूरा दोष जांच करने वाले लेखपालों और कानूनगो पर मढ़ दिया गया है.
दरअसल, विभाग ने पिछले दो वित्तीय वर्षों में 1650 और पिछले वित्त वर्ष में 93 अपात्र लोगों को शादी अनुदान का पैसा दे दिया है. जब नए आवेदकों में फर्जीवाड़ा सामने आया तो डीएम ने पिछले दो सालों में दिए गए आवेदनों की जांच के आदेश कर दिए. वहीं जांच समिति में शामिल परियोजना निदेशक का कहना है कि वो विस्तृत जांच कर रहे हैं.
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