कौशांबी सीएमओ दफ्तर में करोड़ों का घोटाला, मनचाही फर्मों को पहुंचाया गया फायदा
यूपी के कौशांबी में स्वास्थ्य विभाग में एक करोड़ 60 लाख का घोटाला सामने आया है. इसके तहत चहेती फर्मों के जरिये सीएचसी व पीएचसी के लिये सामानों की खरीद की गई और उन्हें फायदा पहुंचाया गया.
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Scam in CMO Office in Kaushambi: यूपी के कौशांबी में मंझनपुर मुख्यालय स्थित सीएमओ कार्यालय में एक करोड़ 60 लाख का बड़ा घोटाला हुआ है. इसका खुलासा एनएचएम की कॉन्ट्रैक्ट ऑडिटर की जांच रिपोर्ट में हुआ है. ई-टेंडर, टेंडर एवं कोटेशन प्रक्रिया में मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई हैं. चहेते फर्मों के माध्यम द्वारा बाजार से महंगे दामों पर सामानों की खरीदारी की गई है. इतना ही नहीं वाहनों को अधिग्रहित करने में भी मानक को दरकिनार रखा गया है. घोटाले का खुलासा होने पर हड़कंप मच गया है. डीएम सुजीत कुमार ने घोटाले की जांच के लिए टीम गठित कर दी है. टीम में शामिल एडीएम के अलावा अन्य अफसर घोटाले की जांच कर रहे हैं. अब देखना यह होगा कि, डीएम की भी जांच रिपोर्ट में घोटाला सही साबित होता है या फिर फाइलों में ही दब कर रह जाएगा.
चहेती फर्मों को पहुंचाया गया फायदा
वर्ष 2019-20 में सीएमओ कार्यालय सहित जिले भर की सीएचसी एवं पीएचसी में सामानों की खरीदारी करने में मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई हैं. सीएमओ कार्यालय के जिम्मेदारों ने चहेते फर्मों को लाभ पहुचाने के लिए सामानों की खरीददारी की जिम्मेदारी दी थी. सामान की खरीदारी बाजार से महंगे दामों में की गई थी. कांट्रैक्ट ऑडिटर ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निर्देशक अपर्णा उपाध्याय को सौंपी. कॉन्ट्रैक्ट ऑडिटर की रिपोर्ट के अनुसार एक करोड़ 60 लाख का घोटाला हुआ है. कई सालों से बंद पड़ी मैसर्स शिवम इंटरप्राइजेज का नवीनीकरण करने के बाद इन लोगों को तैनात किया गया है. रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि, न्यूनतम मजदूरी की दर को दरकिनार कर कम मजदूरी दी जा रही थी. इसके अलावा आरबीएसके मॉनिटरिंग एवं इवैल्यूएशन प्रोग्रामों के तहत वाहनों को अधिग्रहित करने में भी मानक की अनदेखी की गई है. किसी भी वाहन का बीमा फिटनेस आरसी प्रमाण पत्र जांच के दौरान नहीं मिला है और ना ही इनका कोई रिकॉर्ड भी मिला है.
अनियमित भुगतान
इसके अलावा सीएमओ दफ्तर से बगैर निविदा के ही 18 फर्मों से एक करोड़ 33 लाख 63 हजार 151 रुपए का अनियमित भुगतान किया गया है. इसी तरह 17 फर्मों से 25 लाख 65 हजार 908 रुपए की खरीदारी करवाई गई. टेंडर एवं खरीदारी की आडिट भी नहीं कराई गई. डीएम सुजीत कुमार ने बताया कि शासन ने एनएचआरएम के द्वारा एक प्रकरण भेजा है. पिछले साल के सीएमओ कार्यालय के ऑडिट में तमाम कमियां पाई गई हैं. शासन ने डीएम को भी पत्र लिखकर इस मामले की जांच कराने की बात कही है. बगैर टेंडर के ही सर्विस प्रोवाइडरों को नियुक्ति दी गई है.
जांच के लिये बनाई गई टीम
टीम जब जांच करने के लिए आई तो कई कागजात भी नहीं दिखाई गए. उस संबंध में मेरे द्वारा अपर जिला अधिकारी महोदय के नेतृत्व में त्रिसदस्यीय टीम गठित की गई है. टीम को निर्देशित किया गया है कि जल्द से जल्द सभी कागजों की जांच कर रिपोर्ट तैयार करें और इसके बाद मुझे सौंपे. रिपोर्ट को देखने के बाद शासन को भेज दी जाएगी. सीएमओ कार्यालय के जिम्मेदारों को निर्देशित किया गया है कि, जांच कमेटी के द्वारा जो भी दस्तावेज मांगे जा रहे हैं उन्हें उपलब्ध कराएं.
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