लखनऊ: दिव्यांगों की पेंशन खा गये घपलेबाज, किसी और की खाते में जाती रही रकम, अधिकारी सन्न
भ्रष्टाचार का घुन सरकारी तंत्र पर किस तरह हावी हो चुका है, इसका उदाहरण उस वक्त देखने को मिला, जब कुष्ठ रोगी और दिव्यांगों की पेंशन उनके खातों के बजाय किसी और के खातों में पहुंच गई.
लखनऊ: जिन दिव्यांगों और कुष्ठ रोगियों की मदद के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर पेंशन योजना चला रही है, उस पेंशन योजना पर ठगों और भ्रष्ट अफसरों की बुरी नजर है. लखनऊ में दिव्यांगों और कुष्ठ रोगियों की पेंशन हड़पने का मामला सामने आया है. बिना लाभार्थी के बैंक अकाउंट को बदले ही महीनों से मिलने वाली पेंशन दूसरे खाते में जा रही है. सबसे ज्यादा एक ही बैंक के खाताधारकों के साथ हो रही यह ठगी बैंक को भी सवालों के घेरे में ला रही है. फिलहाल पुलिस भी इस घोटाले की जांच में जुट गई है.
आदर्श कुष्ठ आश्रम से हुई शुरुआत
कुष्ठ रोगियों को सरकार के द्वारा मिलने वाली ढाई हजार मासिक पेंशन में घपले की शुरुआत लखनऊ के आदर्श कुष्ठ आश्रम से हुई. जहां पर रहने वाले कुल 73 कुष्ठ रोगियों में 45 कुष्ठ रोगियों की पेंशन इनके खाते के बजाए किसी अन्य के खाते में निकाल ली गई. तीन महीने में हर एक रोगी को मिलने वाली 7500 रुपये की रकम इस बार इन सभी 45 रोगियों के खाते में नहीं पहुंची. हमारी टीम तहकीकात करने पहुंची तो वहां पर आश्रम को संचालित करने वाले सचिव किशन साहा के अलावा तमाम वो पीड़ित कुष्ठ रोगी मिले, जिनके हिस्से की पेंशन किसी और खाते में चली गई तो अब उनकी दिवाली भी फीकी हो गई है.
खाने के लाले पड़े
जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग में शिकायत करने वाले किशन शाह ने कहा कि जब इस बार पेंशन नहीं आई तो हमने विभाग में शिकायत की. नहीं जानते, पेंशन क्यों नहीं आई? हालांकि किशन की पेंशन तो आ गई लेकिन वह परेशान हैं, आश्रम के बाकी उन 45 साथियों की पेंशन के लिए जिनको अब खाने के लाले पड़ गए हैं.
बुजुर्ग शिव नंदन पासवान उस जमाने से पेंशन धारक हैं जब 10 रुपये में बैंक का खाता खुलता था और सरकार 150 रुपए पेंशन देती थी. आज तो यह पेंशन ढाई हजार रुपए महीने हो गई है लेकिन शिवनंदन को नहीं पता कि इससे पहले कभी उनकी पेंशन रुकी हो.
कुछ ऐसा ही प्रेम सिंह जैसे अन्य रोगियों का भी है, जिनके खाते में पेंशन नहीं आने से अब उनके लिए दिवाली मनाना तो दूर बच्चों के लिए रोटी का इंतजाम मुश्किल हो गया है.
FIR दर्ज करवाई गई
बात सरकार की योजना में सेंधमारी की थी, वह भी आज के कंप्यूटराइज्ड बैंकिंग के जमाने में तो हम सीधे पहुंच गए जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी कमलेश वर्मा के पास. कमलेश वर्मा ही वह अफसर हैं जिन्होंने पेंशन के घपले की वजीरगंज कोतवाली में f.i.r. दर्ज करवाई है. कमलेश वर्मा कह रहे हैं कि आश्रम के 45 रोगियों में 28 रोगियों की पेंशन तो हरदोई, कन्नौज और लखनऊ में खुले फर्जी बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी गई. यह सभी बैंक खाते आर्यव्रत ग्रामीण बैंक में खोले गए, लेकिन कमलेश वर्मा भी परेशान हैं कि जब खाताधारक ने अपना बैंक खाता नहीं बदला, विभाग ने भी बैंक से खाता नही बदला गया तो आखिर बैंक ने कैसे सरकारी खजाने से आने वाली इस पेंशन को दूसरे खाते में ट्रांसफर कर दिया. लिहाजा कमलेश वर्मा ने इस मामले में वजीरगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज करा दी. सबसे ताज्जुब की बात कि पेंशन धारकों के खाता बदलने की सबसे ज्यादा शिकायतें भी केनरा बैंक की है. लिहाजा आशंका बैंक कर्मियों के मिलीभगत की भी है.
यह मामला सिर्फ 45 पेंशन धारकों का नहीं है. लखनऊ में कुल 16000 दिव्यांगजन और कुष्ठ रोगी हैं जिनको सरकार पेंशन देती है. ऐसे में अगर 16000 पेंशन धारकों के खाते पर ऐसे ही सेंधमारी कर ली गई तो मामला अफसरों की कुर्सी जाने के लिए काफी हो जाएगा. लिहाजा एफआईआर दर्ज करा दी गई है.
फिलहाल वजीरगंज पुलिस ने भी मिनिस्ट्री टाइप पर अज्ञात के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर ली है, पुलिस का कहना है कि बैंक से संपर्क कर उन खातों की जानकारी मांगी गई है जिनके खाते में पेंशन की रकम ट्रांसफर हुई है.
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