वाराणसी, एबीपी गंगा। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में बिजली विभाग का नया कारनाम सामने आया है। एक स्कूल के पास 6 अरब रुपयों से ज्यादा का बिजली बिल आने से स्कूल मैनेजमेंट परेशान है। स्कूल मैनेजमेंट की परेशानी का सबसे बड़ा कारण यह है कि उनके स्कूल का करीब 6 अरब 18 करोड़ 51 लाख रुपए का बिजली बिल लगातार दूसरी बार आ गया है। पहली बार जो 6 अरब रुपए से ज्यादा का बिल जनरेट हुआ था वह 4 अगस्त को हुआ था, उसके बाद स्कूल कोऑर्डिनेटर ने बिल का करेक्शन करवा कर 9000 हजार से ज्यादा अमाउंट का बिल जमा कर दिया लेकिन इस स्कूल की चिंता और परेशानी तब और बढ़ी जब दोबारा 25 अगस्त को फिर 6 अरब रुपए से ज्यादा का बिजली बिल आ गया।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बिजली विभाग की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। वाराणसी के एक निजी स्कूल प्रबंधक के पास करीब 6 अरब 18 करोड़ 51 लाख रुपए का बिजली बिल आया । बिजली बिल का इतना पैसा देखकर स्कूल प्रबंधक के समझ मे नहीं आ रहा था कि यह कैसा बिजली का बिल आ गया है । स्कूल प्रबंधक ने गड़बड़ तरीके से आए इस बिजली बिल की शिकायत पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंधक निदेशक के दफ्तर में किया है।



स्कूल कोऑर्डिनेटर योगेंद्र मिश्रा ने कहा कि उन्होंने पिछले सभी बिजली का बिल जमा कर दिया था लेकिन उसके बाद इतना बिल आना ताज्जुब की बात है। योगेंद्र मिश्रा का कहना है कि इस बिजली बिल की शिकायत उन्होंने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंधक निदेशक के दफ्तर में किया था लेकिन वहां पर उन्हें सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी बता कर वापस भेज दिया गया। योगेंद्र मिश्रा ने कहा कि बिजली के बिल को ठीक कराने के लिए वह पिछले कई दिनों से बिजली विभाग के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला । इस बिजली बिल को जमा न करने की स्थिति में कनेक्शन काटे जाने की तारीख 7 सितंबर की है और जैसे-जैसे तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे स्कूल की चिंता बढ़ती जा रही है।


योगेंद्र ने कहा कि इस बिजली के बिल की अमाउंट ऐसा है कि जिसे कोई सोच भी नहीं सकता और एक आम आदमी जमा भी नहीं कर सकता। इस तरह का बिल अगर कोई कमजोर दिल के व्यक्ति को आ जाए तो निश्चित ही उसे हार्ट अटैक आ जाएगा और उसकी वही तुरंत मृत्यु भी हो सकती है। योगेंद्र ने कहा कि पूरा स्कूल मैनेजमेंट उस समय यह परेशान था कि हर महीने बिल जमा करने के बाद यह बिल कैसे आ गया और यह फैसला लिया गया कि सबसे पहले इसे चेक कराया जाए और देखा जाए कि इसमें क्या हो सकता है। योगेंद्र ने कहा कि जब पहली बार 4 अगस्त को इस तरह का बिल आया तो जाकर उसे करेक्शन कराकर नौ हजार कुछ रुपए का बिल जमा करा दिया गया लेकिन जब दोबारा फिर छः अरब रुपये से ज्यादा का बिल आया तो हम फिर विभाग के ऑफिस गए लेकिन वहां अधिकारी जीवन प्रकाश नहीं आए थे जिसकी वजह से मैं वापस आ गया और उसके बाद हम अभी तक नहीं जा पाए क्योंकि दो तीन बार हो चुका था इसलिए अब मैं नहीं दौड़ा, योगेंद्र ने कहा कि आज कुछ विभागीय लोग आए थे जिन्होंने आश्वासन दिया है कि आप टेंशन मत लीजिए मैं इसे कैंसिल कर के दे दूंगा।


योगेंद्र ने कहा कि बिजली का बिल हमेशा ज्यादा आता है जिसे मैं करेक्शन कराकर हमेशा जमा करता रहता हूं। योगेंद्र ने कहा कि इनके यहां सोलर सिस्टम लगा है जिसकी वजह से यह बिल की गड़बड़ी होती है और जब विभागीय स्तर पर उसे जांचा परखा जाता है तो उसको ठीक करके पेमेंट जमा करवा लिया जाता है। योगेंद्र ने कहा कि इस समय मीटर रीडिंग और बिल्डिंग का काम प्राइवेट संस्था को देने के बाद से इस तरह की परेशानी सभी लोगों को उठानी पड़ रही है जो नहीं ध्यान देता वह जितने का बिल आता है वह जमा कर देता है मैं बार-बार परेशान होता हूं लेकिन करेक्शन कराकर उसे जमा कर देता हूं। विभाग की लापरवाही है और कब तक ठीक होगी यह समझ में नहीं आ रहा है।


स्कूल की प्रिंसिपल सविता सिंह ने कहा कि बिजली विभाग के बिलों में अनियमितता तो पहले से भी थी लेकिन अगर इस तरह के अमाउंट के बारे में कहा जाए तो पहले कभी नहीं आया था। हमारे स्कूल में सोलर सिस्टम लगा हुआ है जिसके कारण पहले भी बिजली के बिलों में गड़बड़ियां आती रही हैं लेकिन उसे ठीक करा कर जमा करवा दिया जाता है लेकिन इस बार जो 6 अरब रुपए से ज्यादा का बिल आ गया वह अनुमान लगा पाना बेहद कठिन हो गया कि यह कहां से और कैसे आ गया।


बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता जीवन प्रकाश ने बताया कि एक स्कूल का बिजली बिल 6 अरब रुपए से ज्यादा का आया है। जब यह मामला हमारे संज्ञान में आया तो हमने उसे गंभीरता से लेते हुए देखा। सिस्टम पर जनरेट नहीं है उसे स्टडी करने पर पता लगा कि स्कूल परिसर पर एक रूफ फॉर सोलर सिस्टम प्लांट लगा हुआ है और इस प्लांट के एनर्जी के मॉनिटरिंग के लिए नेट मीटर का इस्तेमाल किया जाता है उपभोक्ताओं के मीटर की रीडिंग एसबीएम के माध्यम से कराई जाती है, मीटर रीडर उपभोक्ताओं के घर जाकर एसडीएम मशीन से मीटर देख कर के उसकी रीडिंग करते हैं और उसमें फिट करते हैं उसके बाद वह रेटिंग हमारे सिस्टम पर आती है लेकिन नेट मीटर के लिए एसबीएम मशीन कंफर्टेबल नहीं है। मीटर रीडर की वजह से यह त्रुटि पूर्ण बिल बन गया है जिसके कारण उपभोक्ता को कष्ट हुआ है इसके लिए हम उपभोक्ता से क्षमा मांगते हैं।